विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च |
व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च ||

 

यात्रा के समय सब से अच्छा दोस्त विद्या ही होता है | घर में पत्नी ही सब से अच्छा दोस्त होता है | जब शरीर में रोग आ जाता है तो औषधि ही सब से अच्छा दोस्त होता है | मृत्यु के बाद तो सब से अच्छा दोस्त, जीवित रहते समय किया हुआ धर्म कार्य ही होता है |

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आपकी वेबसाइट जानकारी से भरी हुई और अद्वितीय है। 👍👍 -आर्यन शर्मा

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वेदधारा चैनल पर जितना ज्ञान का भण्डार है उतना गुगल पर सर्च करने पर सटीक जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती है। बहुत ही सराहनीय कदम है -प्रमोद कुमार

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