ब्रह्मवैवर्तपुराण.प्रकृति.२.६६.७ के अनुसार, विश्व की उत्पत्ति के समय देवी जिस स्वरूप में विराजमान रहती है उसे आद्याशक्ति कहते हैं। आद्याशक्ति ही अपनी इच्छा से त्रिगुणात्मिका बन जाती है।
रावण के परदादा थे ब्रह्मा जी। ब्रह्मा जी के पुत्र पुलस्त्य रावण के दादा थे।
मैं शरीर नहीं हूँ मैं नाम नहीं हूँ ये नाम और रूप मुझमें आरोपित हैं इनसे मेरा वस्तुतः कोई सम्बन्ध नहीं है शरीर के नाश से मेरा कुछ भी नहीं बिगड़ता नाम के अयश से मेरा अयश नहीं होता मैं अमर हूँ अजर हूँ निष्कलङ्क हूँ म....
मैं शरीर नहीं हूँ
मैं नाम नहीं हूँ
ये नाम और रूप मुझमें आरोपित हैं
इनसे मेरा वस्तुतः कोई सम्बन्ध नहीं है
शरीर के नाश से मेरा कुछ भी नहीं बिगड़ता
नाम के अयश से मेरा अयश नहीं होता
मैं अमर हूँ अजर हूँ निष्कलङ्क हूँ
मैं शुद्ध हूँ, सनातन हूँ कभी घटने-बढ़नेवाला नहीं हूँ
शरीर के उपजने से मैं उपजता नहीं
शरीर के नष्ट होने पर मैं नष्ट नहीं होता
मैं नित्य हूँ, असङ्ग हूँ, अव्यय हूँ, अज हूँ
मेरे स्वरूप में कभी कोई अन्तर नहीं पड़ता
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