राजा दिलीप के कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपनी रानी सुदक्षिणा के साथ वशिष्ठ ऋषि की सलाह पर उनकी गाय नन्दिनी की सेवा की। वशिष्ठ ऋषि ने उन्हें बताया कि नन्दिनी की सेवा करने से उन्हें पुत्र प्राप्त हो सकता है। दिलीप ने पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ नन्दिनी की सेवा की, और अंततः उनकी पत्नी ने रघु नामक पुत्र को जन्म दिया। यह कहानी भक्ति, सेवा, और धैर्य का प्रतीक मानी जाती है। राजा दिलीप की कहानी को रामायण और पुराणों में एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है कि कैसे सच्ची निष्ठा और सेवा से मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में है। चेन्नई से दूरी १३३ कि.मी.। हैदराबाद से दूरी ५६० कि.मी.।
ॐ क्लीं देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि क्लीं नमः ॥....
ॐ क्लीं देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि क्लीं नमः ॥
दुर्जनः प्रियवादीति
दुर्जनः प्रियवादीति नैतद्विश्वासकारणम् । मधु तिष्ठति....
Click here to know more..जय जय जगजननि देवि भजन
जय जय जग जननी देवी सुर नर मुनि असुर सेवी भक्ति मुक्ति दाय�....
Click here to know more..कल्याण राम नामावली
ॐ कल्याणोत्सवानन्दाय नमः। ॐ महागुरुश्रीपादवन्दनाय नमः�....
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