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अनाहत चक्र के गुण और स्वरूप क्या हैं?

अनाहत चक्र में बारह पंखुडियां हैं। इनमें ककार से ठकार तक के वर्ण लिखे रहते हैं। यह चक्र अधोमुख है। इसका रंग नीला या सफेद दोनों ही बताये गये है। इसके मध्य में एक षट्कोण है। अनाहत का तत्त्व वायु और बीज मंत्र यं है। इसका वाहन है हिरण। अनाहत में व्याप्त तेज को बाणलिंग कहते हैं।

यजुर्वेद से दिव्य मार्गदर्शन

यजुर्वेद का पवित्र आदेश है कि यह चराचरात्मक सृष्टि परमेश्वर से व्याप्य है, जो सर्वाधार, सर्वनियन्ता, सर्वाधिपति, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, और सभी गुणों तथा कल्याण का स्वरूप हैं। इसे समझते हुए, परमेश्वर को सदा अपने साथ रखें, उनका निरंतर स्मरण करें, और इस जगत में त्यागभाव से केवल आत्मरक्षार्थ कर्म करें तथा इन कर्मों द्वारा विश्वरूप ईश्वर की पूजा करें। अपने मन को सांसारिक मामलों में न उलझने दें; यही आपके कल्याण का मार्ग है। वस्तुतः ये भोग्य पदार्थ किसी के नहीं हैं। अज्ञानवश ही मनुष्य इनमें ममता और आसक्ति करता है। ये सब परमेश्वर के हैं और उन्हीं के लिए इनका उपयोग होना चाहिए। परमेश्वर को समर्पित पदार्थों का उपभोग करें और दूसरों की संपत्ति की आकांक्षा न करें।

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