मेरी चौखट पे चल के आज
चारो धाम आये हैं
बजाओ ढोल स्वागत में
मेरे घर राम आये हैं
कथा शबरी की जैसे
जुड़ गयी मेरी कहानी से
ना रोको आज धोने दो चरण
आँखों के पानी से
बहोत खुश हैं मेरे आंसू
के प्रभु के काम आये हैं
बजाओ ढोल स्वागत में
मेरे घर राम आये है
तुमको पा के क्या पाया है
सृष्टि के कण कण से पूछो
तुमको खोने का दुःख क्या है
कौसल्या के मन से पूछो
द्वार मेरे ये अभागे
आज इनके भाग जागे
बड़ी लम्बी इन्तेज़ारी हुई
रघुवर तुम्हारी तब
आयी है सवारी
संदेशे आज खुशियों के
हमारे नाम आये है
बजाओ ढोल स्वागत में
मेरे घर राम आये है
दर्शन पा के हे अवतारी
धनि हुए हैं नैन पुजारी
जीवन नइयाँ तुमने तारी
मंगल भवन अमंगल हारी
मंगल भवन अमंगल हारी
निर्धन का तुम धन हो राघव
तुम ही रामयण हो राघव
सब दुःख हरना अवध बिहारी
मंगल भवन अमंगल हारी
मंगल भवन अमंगल हारी
मंगल भवन अमंगल हारी
चरण की धुल ले लूँ मैं
मेरे भगवन आये है
बजाओ ढोल स्वागत में
मेरे घर राम आये है
मेरी चौखट पे चल के आज
चारो धाम आये हैं
बजाओ ढोल स्वागत में
मेरे घर राम आये हैं
अनाहत चक्र में बारह पंखुडियां हैं। इनमें ककार से ठकार तक के वर्ण लिखे रहते हैं। यह चक्र अधोमुख है। इसका रंग नीला या सफेद दोनों ही बताये गये है। इसके मध्य में एक षट्कोण है। अनाहत का तत्त्व वायु और बीज मंत्र यं है। इसका वाहन है हिरण। अनाहत में व्याप्त तेज को बाणलिंग कहते हैं।
प्रेम, आत्म-संयम, और ईश्वर में विश्वास के बिना जीवन अपना असली उद्देश्य खो देता है। प्रेम करुणा को पोषित करता है, अनुशासन से विकास होता है, और ईश्वर में विश्वास शांति लाता है। इनके बिना, अस्तित्व खाली हो जाता है, जिसमें न तो दिशा होती है, न ही संतोष। एक सार्थक जीवन इन आधारों पर टिका होता है, जो व्यक्ति को आंतरिक शांति और आध्यात्मिक आनंद की ओर ले जाता है।
ब्रह्मचर्य
ब्रह्मचर्य ही जीवन है और वीर्यनाश ही मृत्यु है। जितना मह�....
Click here to know more..परमवीर चक्र से सम्मानित मानद कैप्टन बन्ना सिंह के बारे में जानिए
कमला अष्टक स्तोत्र
न्यङ्कावरातिभयशङ्काकुले धृतदृगङ्कायतिः प्रणमतां शङ्क....
Click here to know more..