गुरुशुश्रूषया विद्या पुष्कलेन धनेन वा |
अथवा विद्यया विद्या चतुर्थी नोपलभ्यते ||
विद्या प्राप्त करनी है तो उस के तीन ही मार्ग होते हैं | गुरु की सेवा कर के विद्या प्राप्त करें | धन प्रदान कर के विद्या प्राप्त करें | कुछ सिखाकर कुछ सीखें |
इन तीन मार्ग के विना विद्या प्राप्त नहीं होगी |
घर में पूजा के लिए सबसे अच्छा शिव लिंग नर्मदा नदी से प्राप्त बाण लिंग है। इसकी ऊंचाई यजमान के अंगूठे की लंबाई से अधिक होनी चाहिए। उत्तम धातु से पीठ बनाकर उसके ऊपर लिंग को स्थापित करके पूजा की जाती है।
अनाहत चक्र में पिनाकधारी भगवान शिव विराजमान हैं। अनाहत चक्र की देवी है काकिनी जो हंसकला नाम से भी जानी जाती है।
अपने दिन को वैदिक आशीर्वाद के साथ शुरू करें
स्वस्तितं मे सुप्रातः सुसायं सुदिवं सुमृगं सुशकुनं मे अ�....
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यदाबध्नन् दाक्षायणा हिरण्यं शतानीकाय सुमनस्यमानाः । त�....
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शतोर्ध्वाष्टकश्लोकमेतद्भुजङ्गप्रयातं पठेद्योऽत्र भक�....
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