पांच - विष्णुप्रयाग, नन्दप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग । प्रयागराज इन पांचों का मिलन स्थान माना जाता है ।
दक्षिण-पूर्व दिशा में केवल स्नानघर बना सकते हैं। यहां कमोड न लगाएं।
ॐ क्लीं श्रीं श्रीं रां रामाय नमः श्रीं सीतायै स्वाहा रां श्रीं श्रीं क्लीं ॐ....
ॐ क्लीं श्रीं श्रीं रां रामाय नमः श्रीं सीतायै स्वाहा रां श्रीं श्रीं क्लीं ॐ
विष्णु के तत्त्व मंत्र
ॐ यं नमः पराय पृथिव्यात्मने नमः ॐणां नमः पराय अबात्मने न�....
Click here to know more..विश्व शान्ति और भगावद्गीता
जानिए- १. विश्व में अशान्ति क्यों है? २. विश्व शान्ति के प्र....
Click here to know more..सुब्रह्मण्य पंचरत्न स्तोत्र
श्रुतिशतनुतरत्नं शुद्धसत्त्वैकरत्नं यतिहितकररत्नं यज....
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