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आनंद की अनुभूति होती है -User_snlyh5

Hamen isase bahut jankari milti hai aur mujhe mantron ki bhi jankari milti hai -User_spaavj

वेदधारा के प्रयासों के लिए दिल से धन्यवाद 💖 -Siddharth Bodke

आप लोग वैदिक गुरुकुलों का समर्थन करके हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए महान कार्य कर रहे हैं -साहिल वर्मा

वेद पाठशालाओं और गौशालाओं के लिए आप जो कार्य कर रहे हैं उसे देखकर प्रसन्नता हुई। यह सभी के लिए प्रेरणा है....🙏🙏🙏🙏 -वर्षिणी

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देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता

देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते । देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम्॥ (वायु तथा ब्रह्मवैवर्त पुराण) - देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता मानी गयी है। अतः देवकार्य से पूर्व पितरोंको तृप्त करना चाहिये।

अंगद

अंगद वानरराज बाली के पुत्र थे। अंगद बुद्धिमान थे, अपने पिता के समान शक्तिशाली थे, और भगवान श्रीराम के प्रति समर्पित भक्त थे। बाली को श्रीराम ने सुग्रीव की पत्नी का हरण करने और अन्यायपूर्वक सिंहासन हड़पने के अपराध में मारा। मृत्यु के समय बाली ने श्रीराम को ईश्वर के रूप में पहचाना और अपने पुत्र अंगद को उनकी सेवा में समर्पित कर दिया। श्रीराम ने बाली की अंतिम इच्छा का सम्मान किया, अंगद को स्वीकार किया, और उन्हें किष्किंधा का युवराज बनाया। बाद में अंगद ने सीता की खोज के लिए वानर सेना का नेतृत्व किया।

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श्री हरि के कान के मल से उत्पन्न दो असुरों के नाम ?

भं भद्रकाल्यै नमः....

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