जन्म से बारहवां दिन या छः महीने के बाद रेवती नक्षत्र गंडांत शांति कर सकते हैं। संकल्प- ममाऽस्य शिशोः रेवत्यश्विनीसन्ध्यात्मकगंडांतजनन सूचितसर्वारिष्टनिरसनद्वारा श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं नक्षत्रगंडांतशान्तिं करिष्ये। कांस्य पात्र में दूध भरकर उसके ऊपर शंख और चन्द्र प्रतिमा स्थापित किया जाता है और विधिवत पुजा की जाती है। १००० बार ओंकार का जाप होता है। एक कलश में बृहस्पति की प्रतिमा में वागीश्वर का आवाहन और पूजन होता है। चार कलशों में जल भरकर उनमें क्रमेण कुंकुंम, चन्दन, कुष्ठ और गोरोचन मिलाकर वरुण का आवाहन और पूजन होता है। नवग्रहों का आवाहन करके ग्रहमख किया जाता है। पूजा हो जाने पर सहस्राक्षेण.. इस ऋचा से और अन्य मंत्रों से शिशु का अभिषेक करके दक्षिणा, दान इत्यादि किया जाता है।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम् मंत्र जापने से शिव जी की कृपा, सद्बुद्धि का विकास, धन की प्राप्ति, अभीष्टों की सिद्धि, स्वास्थ्य, संतान इत्यादियों की प्राप्ति होती है।
ऐं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्....
ऐं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्
संत वाणी - ४
हनुमान मंत्र जो बुरी शक्तियों को हटाए, दुश्मनों को पराजित करे, और सफलता दिलाए
हनुमान मंत्र जो बुरी शक्तियों को हटाए, दुश्मनों को पराजि�....
Click here to know more..जगन्नाथ पंचक स्तोत्र
रक्ताम्भोरुहदर्पभञ्जन- महासौन्दर्यनेत्रद्वयं मुक्ताह....
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