173.8K
26.1K

Comments

Security Code

25569

finger point right
आपके वेदधारा ग्रुप से मुझे अपार ज्ञान प्राप्त होता है, मुझे गर्व कि मैं सनातनी हूं और सनातन धर्म में ईश्वर ने मुझे भेजा है । आपके द्वारा ग्रुप में पोस्ट किए गए मंत्र और वीडियों को में प्रतिदिन देखता हूं । -Dr Manoj Kumar Saini

सनातन धर्म के भविष्य के लिए वेदधारा के नेक कार्य से जुड़कर खुशी महसूस हो रही है -शशांक सिंह

आप जो अच्छा काम कर रहे हैं, उसे देखकर बहुत खुशी हुई 🙏🙏 -उत्सव दास

वेद पाठशालाओं और गौशालाओं का समर्थन करके आप जो प्रभाव डाल रहे हैं उसे देखकर खुशी हुई -समरजीत शिंदे

वेदधारा के कार्यों से हिंदू धर्म का भविष्य उज्जवल दिखता है -शैलेश बाजपेयी

Read more comments

Knowledge Bank

भीष्माचार्य किसके अवतार थे?

भीष्माचार्य अष्ट-वसुओं में से एक के अवतार थे।

दिव्य चक्षु

सबके अन्दर दिव्य चक्षु विद्यमान है। इस दिव्य चक्षु से ही हम सपनों को देखते हैं। पर जब तक इसका साधना से उन्मीलन न हो जाएं इससे बाहरी दुनिया नहीं देख सकते।

Quiz

कर्ण किसके अवतार थे?

हमने देखा कि कुरुक्षेत्र युद्ध धरती पर एक देवासुर युध्द था। देवताओं द्वारा स्वर्गलोक पर पूर्ण अधिकार कर लेने के बाद असुर पृथ्वी पर जन्म लेने लगे। या आप कह सकते हैं कि असुरों ने धरती पर अवतार लिया। जैसे - जैसे इनकी संख्या बढ....

हमने देखा कि कुरुक्षेत्र युद्ध धरती पर एक देवासुर युध्द था।
देवताओं द्वारा स्वर्गलोक पर पूर्ण अधिकार कर लेने के बाद असुर पृथ्वी पर जन्म लेने लगे।
या आप कह सकते हैं कि असुरों ने धरती पर अवतार लिया।
जैसे - जैसे इनकी संख्या बढ़ती गई, अधर्म भी बढ़ता गया।
धर्म - अधर्म का संतुलन बिगड़ गया।
देवताओं ने भी पृथ्वी पर अवतार लिया।
इसके बाद उनके बीच लड़ाई शुरू हो गई।
पृथ्वी पर असुरों का सर्वनाश हो गया।
धर्म की पुनः स्थापना हुई।
अब, हम एक नज़र डालेंगे कि महाभारत के कुछ मुख्य पात्र किसके अवतार थे।
जरासंध दानव प्रमुख विप्ताचित्ति का अवतार था।
शिशुपाल हिरण्यकशिपु का अवतार था।
प्रह्लाद के भाई संह्राद ने बहलीका के राजा शल्य के रूप में अवतार लिया।
अनुह्राद, एक और भाई धृष्टकेतु के रूप में अवतार लिया।
भगदत्त बाष्कल का अवतार था।
हम जितने भी असुरों की बात करते थे, उन सभी ने पृथ्वी पर राजाओं के रूप में अवतार लिया और उनमें से अधिकतर कौरवों के सहयोगी बन गए।
महाभारत में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है।
द्रोण वृहस्पति के अवतार थे।
अश्वत्थामा महादेव, यम, काम और क्रोध का सम्मिलित अवतार था।
भीष्म पितामह, आप जानते ही होंगे एक वसु के अवतार हैं।
कृपाचार्य रुद्रगाण के अवतार थे।
सत्यकीर्ति मरु्द्गण का अवतार था।
राजा द्रुपद, कृतवर्मा और राजा विराट मरुद्गण के अवतार थे।
धृतराष्ट्र हंस नामक एक गंधर्व के अवतार थे।
दुर्योधन कलि का अवतार था।
दुर्योधन के भाई राक्षसों के अवतार थे।
आप जानते हैं कि पांडव क्रमशः यमराज, वायु, इंद्र और अश्विनी कुमार के अवतार हैं।
अब इनके जन्म के बारे में देखते हैं।
कुंती ने ऋषि दुर्वासा से प्राप्त मंत्र की शक्ति से धर्मराज, वायु और इंद्र का आह्वान किया।
लेकिन इससे पहले भी, पांडु से विवाह करने से पहले कुंती ने सूर्यदेव का आह्वान किया था।
सूर्य ने कुंती के गर्भ से कर्ण के रूप में अवतार लिया।
लेकिन कुंती डर गई।
उसने बच्चे को एक पेटी में रखकर, उसे एक नदी में छोड़कर चली गई।
वह पेटी नदी में बहती हुई चली गयी
अधिरथ और उनकी पत्नी राधा ने उस पेटी को देखा और उसे नदी से बाहर निकाला।
अधिरथ का जन्म सूत जाति से हुआ था।
सूत क्षत्रियों से नीचे और वैश्यों के ऊपर की जाति है।
वे धृतराष्ट्र के मित्र और सारथी थे।
बच्चे को उन्होंने गोद लिया और उसका नाम वसुषेण रखा गया।
यही है कर्ण।
जन्म के समय से ही कर्ण के शरीर पर कवच और कान के कुण्डल थे।
वे इन की शक्ति से अजेय थे।
कर्ण का बड़ा हृदय था।
अगर प्रार्थना करते समय कोई कुछ भी मांगता है, तो वे उसे देते थे।
कर्ण और अर्जुन चिर प्रतिद्वंद्वी होनेवाले थे।
इन्द्र अपने पुत्र अर्जुन की सफलता चाहते थे।
इसलिए इंद्र ने एक ब्राह्मण का वेश धारण किया और कर्ण के पास जाकर कवच और कुंनेडल मांगे।
कर्ण ने बिना किसी संकोच के उन्हें कवच और कुण्डल दे दिया।
इंद्र ने कर्ण को एक शक्ति, एक भाला दिया और कहा कि जिस किसी पर भी आप इस का प्रयोग करेंगे वह जो भी हो देवता, असुर, गंधर्व या मानव उसकी अवश्य मृत्यु होगी।
कर्ण दुर्योधन का मित्र, सलाहकार और सहयोगी बन गया।
अभिमन्यु चन्द्र देव के पुत्र का अवतार था।
उसे धरती पर भेजते समय, चंद्र ने एक शर्त रखी थी कि उसे १६ साल के अन्दर ही लोट आना है।
इसलिए १६ साल की उम्र में अभिमन्यु का निधन हो गया।
धृष्टद्युम्न अग्निदेव का अवतार था।
द्रौपदी के पुत्र विश्वेदेवों के अवतार थे।
शूरसेन कृष्ण के पितामह थे।
कुन्तीभोज राजा उग्रसेन का चचेरा भाई था।
शूरसेन ने कुन्तीभोज को वचन दिया था कि उन्हें अपना अपना पहला बच्चा देगा।
शूरसेन की पुत्री हुई और वादे के अनुसार शूरसेन ने उसे कुंतीभोज को दे दिया।
वह कुंतीभोज की पुत्री थी पांडवों की माता कुंती।
श्रीमन नारायण ने कृष्ण के रूप में अवतार लिया।
आदिशेष ने बलदेव के रूप में अवतार लिया।
प्रद्युम्न सनतकुमार का अवतार था।
लक्ष्मी देवी ने रुक्मिणी देवी के रूप में अवतार लिया।
अप्सराओं ने कृष्ण की १६००० पत्नियों के रूप में अवतार लिया।
शची देवी ने द्रौपदी के रूप मं अवतार लिया
सिद्धि और धृति नामक दो देवी हैं।
सिद्धि ने कुंती और धृति ने माद्री के रूप में अवतार लिया।
मति देवी ने गान्धारी के रूप में अवतार लिया।
महाभारत में कहा गया है कि इन सब के बारे में ज्ञान प्राप्त कर लेने से ही आप लंबे जीवन और समृद्धि पा लेंगे।

Other languages: HindiTamilMalayalamTeluguKannada

Recommended for you

उनाकोटी - ९९,९९,९९९ देवी-देवता एक ही स्थान पर

उनाकोटी - ९९,९९,९९९ देवी-देवता एक ही स्थान पर

जानिए त्रिपुरा में उनाकोटी के बारे में जहां ९९,९९,९९९ देव�....

Click here to know more..

भागवत का श्रवण सारे दुखों को मिटा देता है

भागवत का श्रवण सारे दुखों को मिटा देता है

Click here to know more..

त्रिपुर सुंदरी अष्टक स्तोत्र

त्रिपुर सुंदरी अष्टक स्तोत्र

कदम्बवनचारिणीं मुनिकदम्बकादम्बिनीं नितम्बजितभूधरां स....

Click here to know more..