114.9K
17.2K

Comments

Security Code

01137

finger point right
बहुत अच्छा लग रहा है यह सब 🌼... बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 -paritosh

आपकी वेबसाइट बहुत ही मूल्यवान जानकारी देती है। -यशवंत पटेल

आनंद की अनुभूति होती है -User_snlyh5

आपकी वेबसाइट बहुत ही अनोखी और ज्ञानवर्धक है। 🌈 -श्वेता वर्मा

जय माधव आपकी वेबसाइट शानंदार है सभी लोगो को इससे लाभ होगा। जय श्री माधव -Gyan Prakash Awasthi

Read more comments

भगवन् देव देवेश कृपया त्वं जगत्प्रभो।
वंशाख्यं कवचं ब्रूहि मह्यं शिष्याय तेऽनघ।
यस्य प्रभावाद्देवेश वंशवृद्धिर्हिजायते ॥ १॥

अर्थ:
हे देवों के देव, जगत के स्वामी, कृपया अपनी कृपा से मुझे, अपने शिष्य को 'वंशाख्य कवच' सिखाएं। जिसके प्रभाव से वंश वृद्धि होती है।

सूर्य उवाच
श‍ृणु पुत्र प्रवक्ष्यामि वंशाख्यं कवचं शुभम्।
सन्तानवृद्धिः पठनाद्गर्भरक्षा सदा नृणाम् ॥ २॥

अर्थ:
सूर्य देव बोले: सुनो पुत्र, मैं तुम्हें पवित्र 'वंशाख्य कवच' सिखाता हूँ। इसके पाठ से संतान की वृद्धि और गर्भ की रक्षा सदा होती है।

वन्ध्याऽपि लभते पुत्रं काकवन्ध्या सुतैर्युता।
मृतवत्सा सुपुत्रा स्यात्स्रवद्गर्भा स्थिरप्रजा ॥ ३॥

अर्थ:
जो स्त्री बांझ है, वह पुत्र प्राप्त करती है, और जिसकी संतान मृत हो चुकी हो, वह भी सुपुत्र से युक्त होती है। गर्भपात से पीड़ित स्त्री का गर्भ स्थिर हो जाता है।

अपुष्पा पुष्पिणी यस्य धारणाच्च सुखप्रसूः।
कन्या प्रजा पुत्रिणी स्यादेतत् स्तोत्रप्रभावतः ॥ ४॥

अर्थ:
जो स्त्री गर्भधारण नहीं कर पाती, वह भी पुष्पवती होती है, और इस स्तोत्र के प्रभाव से पुत्रवती बन जाती है।

भूतप्रेतादिजा बाधा या बाधा कुलदोषजा।
ग्रहबाधा देवबाधा बाधा शत्रुकृता च या ॥ ५॥

अर्थ:
जो बाधाएँ भूत-प्रेत, कुल दोष, ग्रह, देवता या शत्रु द्वारा उत्पन्न होती हैं, वे सब नष्ट हो जाती हैं।

भस्मीभवन्ति सर्वास्ताः कवचस्य प्रभावतः।
सर्वे रोगा विनश्यन्ति सर्वे बालग्रहाश्च ये ॥ ६॥

अर्थ:
कवच के प्रभाव से ये सभी बाधाएँ भस्म हो जाती हैं, और सभी रोग, विशेषकर बालकों पर होने वाले ग्रह दोष नष्ट हो जाते हैं।

पुर्वे रक्षतु वाराही चाग्नेय्यां चाम्बिका स्वयम्।
दक्षिणे चण्डिका रक्षेनैरृते शववाहिनी ॥ १॥

अर्थ:
पूर्व दिशा में वाराही रक्षा करें, आग्नेय कोण में अंबिका स्वयं रक्षा करें, दक्षिण में चंडिका रक्षा करें, और नैऋत्य कोण में शववाहिनी देवी रक्षा करें।

वाराही पश्चिमे रक्षेद्वायव्यां च महेश्वरी।
उत्तरे वैष्णवी रक्षेत् ईशाने सिंहवाहिनी ॥ २॥

अर्थ:
पश्चिम दिशा में वाराही रक्षा करें, वायव्य कोण में महेश्वरी रक्षा करें, उत्तर दिशा में वैष्णवी रक्षा करें, और ईशान कोण में सिंहवाहिनी देवी रक्षा करें।

ऊर्ध्वे तु शारदा रक्षेदधो रक्षतु पार्वती।
शाकम्भरी शिरो रक्षेन्मुखं रक्षतु भैरवी ॥ ३॥

अर्थ:
ऊपर से शारदा देवी रक्षा करें, नीचे से पार्वती रक्षा करें, शाकम्भरी सिर की रक्षा करें, और भैरवी मुख की रक्षा करें।

कण्ठं रक्षतु चामुण्डा हृदयं रक्षतात् शिवा।
ईशानी च भुजौ रक्षेत् कुक्षिं नाभिं च कालिका ॥ ४॥

अर्थ:
कंठ की रक्षा चामुंडा करें, हृदय की रक्षा शिवा करें, भुजाओं की रक्षा ईशानी करें, और पेट व नाभि की रक्षा कालीका करें।

अपर्णा ह्युदरं रक्षेत्कटिं वस्तिं शिवप्रिया।
ऊरू रक्षतु कौमारी जया जानुद्वयं तथा ॥ ५॥

अर्थ:
पेट की रक्षा अपर्णा करें, कमर और नीचे के हिस्से की रक्षा शिवप्रिया करें, जंघाओं की रक्षा कौमारी करें, और दोनों घुटनों की रक्षा जया करें।

गुल्फौ पादौ सदा रक्षेद्ब्रह्माणी परमेश्वरी।
सर्वाङ्गानि सदा रक्षेद्दुर्गा दुर्गार्तिनाशनी ॥ ६॥

अर्थ:
गुल्फ और पैरों की रक्षा ब्रह्माणी परमेश्वरी करें, और संपूर्ण शरीर की रक्षा दुर्गा, जो सभी कष्टों को हरने वाली हैं, करें।

नमो देव्यै महादेव्यै दुर्गायै सततं नमः।
पुत्रसौख्यं देहि देहि गर्भरक्षां कुरुष्व मे ॥ ७॥

अर्थ:
महादेवी दुर्गा को मेरा बार-बार प्रणाम। मुझे पुत्र सुख दो और मेरी गर्भ की रक्षा करो।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं ऐं ऐं ऐं महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वतीरूपायै नवकोटिमूर्त्यै दुर्गायै नमः ॥ ८॥

अर्थ:
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं ऐं ऐं ऐं महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूपों वाली देवी दुर्गा को मेरा प्रणाम।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं दुर्गे दुर्गार्तिनाशिनी सन्तानसौख्यं देहि देहि वन्ध्यत्वं मृतवत्सत्वं च हर हर गर्भरक्षां कुरु कुरु सकलां बाधां कुलजां बाह्यजां कृतामकृतां च नाशय नाशय सर्वगात्राणि रक्ष रक्ष गर्भं पोषय पोषय सर्वोपद्रवं शोषय शोषय स्वाहा ॥ ९॥

अर्थ:
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं, हे दुर्गा, जो सभी कष्टों को दूर करने वाली हैं, मुझे संतान का सुख दो। बांझपन और मृत बच्चों को दूर करो। गर्भ की रक्षा करो और सभी बाधाओं को दूर करो। सभी अंगों की रक्षा करो, गर्भ को पोषण दो, और सभी कष्टों को समाप्त करो।

अनेन कवचेनाङ्गं सप्तवाराभिमन्त्रितम्।
ऋतुस्नाता जलं पीत्वा भवेत् गर्भवती ध्रुवम् ॥ १॥

अर्थ:
इस कवच को सात बार पढ़कर अभिमंत्रित जल को पीने से स्त्री निश्चित रूप से गर्भवती हो जाती है।

गर्भपातभये पीत्वा दृढगर्भा प्रजायते।
अनेन कवचेनाथ मार्जिताया निशागमे ॥ २॥

अर्थ:
गर्भपात के डर से जब यह जल पीया जाता है, तो गर्भ स्थिर हो जाता है और स्वस्थ संतान का जन्म होता है।

सर्वबाधाविनिर्मुक्ता गर्भिणी स्यान्न संशयः।
अनेन कवचेनेह ग्रथितं रक्तदोरकम् ॥ ३॥

अर्थ:
इस कवच के प्रभाव से गर्भिणी स्त्री सभी बाधाओं से मुक्त होती है। इसमें संदेह नहीं है।

कटिदेशे धारयन्ती सुपुत्रसुखभागिनी।
असूतपुत्रमिन्द्राणी जयन्तं यत्प्रभावतः ॥ ४॥

अर्थ:
इसे कमर पर धारण करने से स्त्री सुपुत्र का सुख प्राप्त करती है। जैसे इंद्राणी ने जयंत को जन्म दिया था।

गुरूपदिष्टं वंशाख्यं तदिदं कवचं सखे।
गुह्याद्गुह्यतरं चेदं न प्रकाश्यं हि सर्वतः।
धारणात् पठनाद्यस्य वंशच्छेदो न जायते ॥ ५॥

अर्थ:
यह 'वंशाख्य कवच' गुरु द्वारा सिखाया गया है। यह बहुत गुप्त है और इसे सबको नहीं बताया जाना चाहिए। इसके पाठ और धारण से वंश कभी समाप्त नहीं होता।

Knowledge Bank

भगवान ने संसार क्यों बनाया?

उपनिषद कहते हैं - एकाकी न रमते स द्वितीयमैच्छत्। एकोऽयं बहु स्यां प्रजायेय। ईश्वर अकेले थे और उनको लगा की अकेले रहना संतुष्टिदायक नहीं है। इसलिए, उन्होंने संगती की कामना की और लोक बनाने का फैसला किया। ऐसा करने के लिए, उन्होंने स्वयं को बढ़ाया और हमारे चारों ओर सब कुछ बन गया। सृष्टि का यह कार्य विविधता और जीवन को अस्तित्व में लाने का ईश्वर का तरीका था। यह व्याख्या हमें याद दिलाती है कि संसार और इसमें विद्यमान हर वस्तु ईश्वर के आनंद की इच्छा की अभिव्यक्ति है। यह सभी प्राणियों की एकता का भी प्रतीक है, क्योंकि हम सभी एक ही दिव्य स्रोत से आए हैं।

गौ माता की उत्पत्ति कैसे हुई?

गौ माता सुरभि को गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शरीर के बाएं हिस्से से उत्पन्न किया। सुरभि के रोम रोम से बछड़ों के साथ करोड़ों में गायें उत्पन्न हुई।

Quiz

किस मंदिर की देवी फुल्लरा नाम से जानी जाती है ?

Other languages: EnglishMalayalamTamilTeluguKannada

Recommended for you

अध्ययन में सफलता और बौद्धिक स्पष्टता के लिए सरस्वती मंत्र

अध्ययन में सफलता और बौद्धिक स्पष्टता के लिए सरस्वती मंत्र

माँ सरस्वती का आह्वान करें और उनकी कृपा से बौद्धिक स्पष्�....

Click here to know more..

सुरक्षा और समृद्धि का आह्वान करें इस शक्तिशाली अथर्ववेद सूक्त के साथ

सुरक्षा और समृद्धि का आह्वान करें इस शक्तिशाली अथर्ववेद सूक्त के साथ

इस सूक्त के पवित्र मंत्र का पाठ करें, जो सुरक्षा का आह्वान....

Click here to know more..

कपालीश्वर स्तोत्र

कपालीश्वर स्तोत्र

कपालिनामधेयकं कलापिपुर्यधीश्वरं कलाधरार्धशेखरं करीन्....

Click here to know more..