ॐ आरिक्षीणियम् वनस्पतियायाम् नमः । बहुतेन्द्रीयम् ब्रहत् ब्रहत् आनन्दीतम् नमः । पारवितम नमामी नमः । सूर्य चन्द्र नमायामि नमः । फुलजामिणी वनस्पतियायाम् नमः । आत्मानियामानि सद् सदु नमः । ब्रम्ह विषणु शिवम् नमः । पवित्र पावन जलम नमः । पवन आदि रघुनन्दम नमः । इति सिद्धम् ।
महर्षि पतंजलि के योग शास्त्र में आठ अंग हैं- १.यम २. नियम ३. आसन ४. प्राणायाम ५. प्रत्याहार ६. धारण ७. ध्यान ८. समाधि।
ॐ वज्रनखदंष्ट्रायुधाय महासिंहाय हुं फट्....
ॐ वज्रनखदंष्ट्रायुधाय महासिंहाय हुं फट्
मधु और कैटभ के साथ युद्ध में श्री हरी महामाया से मदद मांगते हैं
दुर्गा सप्तशती हिंदी में
जगत नियन्ता जगपति, हे जग के आधार । लम्बोदर विघ्नेश हे, कर द�....
Click here to know more..भरताग्रज राम स्तोत्र
हे जानकीश वरसायकचापधारिन् हे विश्वनाथ रघुनायक देवदेव ।....
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