मन्त्रार्थं मन्त्रचैतन्यं यो न जानाति साधकः । शतलक्षप्रजप्तोऽपि तस्य मन्त्रो न सिध्यति - जो व्यक्ति मंत्र का अर्थ और सार नहीं जानता, वह इसे एक अरब बार जपने पर भी सफल नहीं होगा। मंत्र के अर्थ को समझना महत्वपूर्ण है। मंत्र के सार को जानना आवश्यक है। इस ज्ञान के बिना, केवल जप करने से कुछ नहीं होगा। बार-बार जपने पर भी परिणाम नहीं मिलेंगे। सफलता के लिए समझ और जागरूकता आवश्यक है।
एक बार माता पार्वती गौ माता के और भोलेनाथ एक बूढे के रूप में भृगु महर्षि के आश्रम पहुंचे। गाय और बछडे को आश्रम में छोडकर महादेव निकल पडे। थोडी देर बाद भोलेनाथ खुद एक वाघ के रूप में आकर उन्हें डराने लगे। डर से गौ और बछडा कूद कूद कर दौडे तो उनके खुरों का निशान शिला के ऊपर पड गया जो आज भी ढुंढागिरि में दिखाई देता है। आश्रम में ब्रह्मा जी का दिया हुआ एक घंटा था जिसे बजाने पर भगवान परिवार के साथ प्रकट हो गए। इस दिन को गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाते हैं।
अथोत्तरन्यासाः । ॐ ह्रीं हृदयाय नमः । ॐ चं शिरसे स्वाहा । ॐ डिं शिखायै वषट् । ॐ कां कवचाय हुम् । ॐ यैं नेत्रत्रयाय वौषट् । ॐ ह्रीं चण्डिकायै अस्त्राय फट् । ॐ खड्गिणी शूलिनी घोरा गदिनी चक्रिणी तथा । शङ्खिनी चापिनी बाणभुशुण....
अथोत्तरन्यासाः ।
ॐ ह्रीं हृदयाय नमः । ॐ चं शिरसे स्वाहा । ॐ डिं शिखायै वषट् । ॐ कां कवचाय हुम् । ॐ यैं नेत्रत्रयाय वौषट् । ॐ ह्रीं चण्डिकायै अस्त्राय फट् ।
ॐ खड्गिणी शूलिनी घोरा गदिनी चक्रिणी तथा ।
शङ्खिनी चापिनी बाणभुशुण्डीपरिघायुधा ।
हृदयाय नमः ।
ॐ शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके ।
घण्टास्वनेन नः पाहि चापज्यानिःस्वनेन च ।
शिरसे स्वाहा ।
ॐ प्राच्यां रक्ष प्रतीच्यां च चण्डिके रक्ष दक्षिणे ।
भ्रामणेनात्मशूलस्य उत्तरस्यां तथेश्वरी ।
शिखायै वषट् ।
ॐ सौम्यानि यानि रूपाणि त्रैलोक्ये विचरन्ति ते ।
यानि चात्यन्तघोराणि तै रक्षास्मांस्तथा भुवम् ।
कवचाय हुम् ।
ॐ खड्गशूलगदादीनि यानि चास्त्राणि तेऽम्बिके ।
करपल्लवसङ्गीनि तैरस्मान् रक्ष सर्वतः ।
नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ॐ सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ।
अस्त्राय फट् ।
भूर्भुवःसुवरोमिति दिग्विमोकः ।
ध्यानम् ।
विद्युद्दामसमप्रभां मृगपतिस्कन्धस्थितां भीषणां
कन्याभिः करवालखेटविलसद्धस्ताभिरासेविताम् ।
हस्तैश्चापदरालिखेटविशिखांश्चापं गुणं तर्जनीं
बिभ्राणामनलात्मिकां शशिधरां दुर्गां त्रिनेत्रां भजे ।
धन और सुरक्षा के लिए सीता राम मंत्र
ॐ क्लीं श्रीं श्रीं रां रामाय नमः श्रीं सीतायै स्वाहा रा�....
Click here to know more..अध्यात्म में हडबडी मत करो
जानिए- कैसे अध्यात्म में हडबडी करना ठीक नहीं है, अच्छे कर�....
Click here to know more..निजात्माष्टक
अनेकान्तिकं द्वन्द्वशून्यं विशुद्धं नितान्तं सुशान्त�....
Click here to know more..