भाद्रपद मास में कदम्ब और चम्पा से शिवकी पूजा करनेसे सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। भाद्रपदमास से भिन्न मासों में निषेध है।
शक्ति पीठ भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में स्थित पवित्र स्थलों की एक श्रृंखला है, जो प्राचीन काल से अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए पूजनीय हैं। देवी सती अपने पिता दक्ष के याग में भाग लेने गयी। वहां उनके पति महादेव का अपमान हुआ। माता सती इसे सहन नहीं कर पायी और उन्होंने यागाग्नि में कूदकर अपना प्राण त्याग दिया। भगवान शिव सती के मृत शरीर को लिए तांडव करने लगे। भगवान विष्णु ने उस शरीर पर अपना सुदर्शन चक्र चलाया। उसके अंग और आभूषण ५१ स्थानों पर गिरे। ये स्थान न केवल शक्तिशाली तीर्थस्थल बन गए हैं, बल्कि दुनिया भर के भक्तों को भी आकर्षित करते हैं जो आशीर्वाद और सिद्धि चाहते हैं।
रात्रीति सूक्तस्य उषिक-ऋषिः। रात्रिर्देवता । गायत्री छन्दः । श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठादौ जपे विनियोगः । ओं रात्री व्यख्यदायती पुरुत्रा देव्यक्षभिः । विश्वा अधि श्रियोऽधित ॥१॥ ओर्वप्रा अमर्त्या निवतो दे�....
रात्रीति सूक्तस्य उषिक-ऋषिः। रात्रिर्देवता । गायत्री छन्दः । श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठादौ जपे विनियोगः ।
ओं रात्री व्यख्यदायती पुरुत्रा देव्यक्षभिः ।
विश्वा अधि श्रियोऽधित ॥१॥
ओर्वप्रा अमर्त्या निवतो देव्युद्वतः ।
ज्योतिषा बाधते तमः ॥२॥
निरु स्वसारमस्कृतोषसं देव्यायती ।
अपेदु हासते तमः ॥३॥
सा नो अद्य यस्या वयं नि ते यामन्नविक्ष्महि ।
वृक्षे न वसतिं वयः ॥४॥
नि ग्रामासो अविक्षत नि पद्वन्तो नि पक्षिणः ।
नि श्येनासश्चिदर्थिनः ॥५॥
यावया वृक्यं वृकं यवय स्तेनमूर्म्ये ।
अथा नः सुतरा भव ॥६॥
उप मा पेपिशत्तमः कृष्णं व्यक्तमस्थित ।
उष ऋणेव यातय ॥७॥
उप ते गा इवाकरं वृणीष्व दुहितर्दिवः ।
रात्रि स्तोमं न जिग्युषे ॥८॥
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