प्रथमवयसि पीतं तोयमल्पं स्मरन्तः
शिरसि निहितभारा नारिकेला नराणाम् ।
उदकममृतकल्पं दद्युराजीवितान्तं
नहि कृतमुपकारं साधवो विस्मरन्ति ।।
एक नारियल का पेड जब छोटा होता है तब वह थोडा सा ही पानी पीता है । फिर बडा होकर अपने ऊपर लगे हुए फलों की देखभाल करते हुए वह उन में अमृत के समान पानी भरकर लोगों को देता है । ऐसे ही साधुजन भी, एक छोटी से सहायता करने पर उसको न भूलते हुए निस्वार्थ होकर सही समय में सही प्रकार से हमारा मार्गदर्शन और प्रत्युपकार करते हैं ।
गण्डान्त तीन प्रकार के हैं: नक्षत्र-गण्डान्त , राशि-गण्डान्त, तिथि-गण्डान्त। अश्विनी, मघा, मूल इन तीन नक्षत्रों के प्रथम चरण; रेवती, आश्लेषा, ज्येष्ठा इन तीन नक्षत्रों के अन्तिम चरण; ये हुए नक्षत्र-गण्डान्त। मेष, सिंह, धनु इन तीन राशियों की प्रथम घटिका; कर्क, वृश्चिक, मीन इन तीन राशियों की अंतिम घटिका; ये हुए राशि गण्डान्त। अमावास्या, पूर्णिमा, पञ्चमी, दशमी इन चार तिथियों की अंतिम तीन घटिका; प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी इन तीन तिथियों की प्रथम तीन घटिका; ये हुए तिथि-गण्डान्त। गण्डान्तों में जन्म अशुभ माना जाता है। गण्डान्तों में शुभ कार्यों को करना भी वर्जित है।
ऋद्धिदां वृद्धिदां चैव मुक्तिदां सर्वकामदाम्। लक्ष्मीस्वरूपां परमां राधां सहचरीं पराम्। गवामधिष्ठातृदेवीं गवामाद्यां गवां प्रसूम्। पवित्ररूपां पूज्यां च भक्तानां सर्वकामदाम्। यया पूतं सर्वविश्वं तां देवीं सुरभीं भजे।