ॐ नमो गोवर्धनोद्धरणाय गोविन्दाय गोकुलनिवासाय गोपालाय गोपालपतये गोपीजनभर्त्रे गिरिजोद्धर्त्रेजगद्विधये जगन्मङ्गलाय जगन्निवासाय जगन्मोहनाय कोटिमन्मथमन्मथाय वृषभानुसुतावराय श्रीनन्दराजकुलप्रदीपाय करुणानिधये श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय त्वसङ्ख्यब्रह्माण्डपतये गोलोकधामधिषणाधिपतये स्वयं भगवते सबलाय नमस्ते नमस्ते नमस्ते ।
श्राद्धात् परतरं नान्यच्छ्रेयस्करमुदाहृतम् । तस्मात् सर्वप्रयत्नेन श्राद्धं कुर्याद्विचक्षणः ॥ - (हेमाद्रि ) - श्राद्ध से बढ़कर कल्याणकारी और कोई कर्म नहीं होता । अतः प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करते रहना चाहिये।
भक्ति बुद्धि का नहीं बल्कि हृदय का विषय है; यह परमात्मा के लिए आत्मा की लालसा है।
देवताओं ने भी महामाया के प्रभाव को पूर्ण रूप से नहीं जाना है
गणेश चालीसा
जय गणपति सदगुण सदन,कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण,जय ....
Click here to know more..दुर्गा नमस्कार स्तोत्र
समुत्साहं हासं प्रियदशहरापर्वसहितं सपर्या ते पर्यावरण�....
Click here to know more..