संपूर्णकुम्भो न करोति शब्दमर्धो घटो घोषमुपैति नूनम् ।
विद्वान् कुलीनो न करोति गर्वं गुणैर्विहीना बहु जल्पयन्ति ।।
जल से पूरी तरह भरा हुआ घट, शब्द नहीं करता | जो घट आधा भरा हुआ होता है वह बहुत आवाज करता है | इसी प्रकार जो विद्वान् संपूर्णतया तत्त्व को जानता है वह कभी अपने ज्ञान पर अहंकार नहीं करता | जो आधा-अधूरा जानते हुए अपने आप को सब कुछ जानने वाला समझता है वह ही अहंकारी व्यक्ति होता है |
ॐ आद भैरव, जुगाद भैरव। भैरव है सब थाई भैरों ब्रह्मा । भैरों विष्ण, भैरों ही भोला साईं । भैरों देवी, भैरों सब देवता । भैरों सिद्धि भैरों नाथ भैरों गुरु । भैरों पीर, भैरों ज्ञान, भैरों ध्यान, भैरों योग-वैराग भैरों बिन होय, ना रक्षा, भैरों बिन बजे ना नाद। काल भैरव, विकराल भैरव । घोर भैरों, अघोर भैरों, भैरों की महिमा अपरम्पार श्वेत वस्त्र, श्वेत जटाधारी । हत्थ में मुगदर श्वान की सवारी। सार की जंजीर, लोहे का कड़ा। जहाँ सिमरुँ, भैरों बाबा हाजिर खड़ा । चले मन्त्र, फुरे वाचा देखाँ, आद भैरो ! तेरे इल्मी चोट का तमाशा ।
कर्ण ने कुंती को वचन दिया था कि युद्ध में अर्जुन के सिवा अन्य कुंतीपुत्रों को नहीं मारेगा।
आज्ञाकारिता का महत्व
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