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वेदधारा हिंदू धर्म के भविष्य के लिए जो काम कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है 🙏🙏 -साहिल पाठक

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कठोपनिषद में यम प्रेय और श्रेय के बीच अंतर के बारे में क्या सिखाते हैं?

कठोपनिषद में, यम प्रेय (प्रिय, सुखद) और श्रेय (श्रेष्ठ, लाभकारी) के बीच के अंतर को समझाते हैं। श्रेय को चुनना कल्याण और परम लक्ष्य की ओर ले जाता है। इसके विपरीत, प्रेय को चुनना अस्थायी सुखों और लक्ष्य से दूर हो जाने का कारण बनता है। समझदार व्यक्ति प्रेय के बजाय श्रेय को चुनते हैं। यह विकल्प ज्ञान और बुद्धि की खोज से जुड़ा है, जो कठिन और शाश्वत है। दूसरी ओर, प्रेय का पीछा करना अज्ञान और भ्रांति की ओर ले जाता है, जो आसान लेकिन अस्थायी है। यम स्थायी भलाई को तत्काल संतोष के ऊपर रखने पर जोर देते हैं।

सुदर्शन चक्र शाबर मंत्र

ॐ विष्णु चक्र चक्रौति भार्गवन्ति, सैहस्त्रबाहु चक्रं चक्रं चक्रौती युद्धं नाष्यटष्य नाष्टष्य चल चक्र, चक्रयामि चक्रयामि. काल चक्रं भारं उन्नतै करियन्ति करियन्ति भास्यामि भास्यामि अड़तालिशियं भुजगेन्द्र हारं सुदर्शन चक्रं चलायामि चलायामि भुजा काष्टं फिरयामि फिरयामि भूर्व : भूवः स्वः जमुष्ठे जमुष्ठे चलयामि रुद्र ब्रह्म अंगुलानि ब्रासमति ब्रासमति करियन्ति यमामी यमामी ।

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मैत्रावरुणि किनका नाम है ?

जब कद्रू के बच्चे नागों ने उसकी बहन को धोखा देने में उसकी मदद करने से इनकार कर दिया, तो कद्रू ने उन्हें शाप दिया कि वे सब आग में जल कर नष्ट हो जाएंगे। उनमें से कुछ जैसे करकोटक ने वही किया जो वह चाहती थी । आदिशेष नागों में सबसे वरि....

जब कद्रू के बच्चे नागों ने उसकी बहन को धोखा देने में उसकी मदद करने से इनकार कर दिया, तो कद्रू ने उन्हें शाप दिया कि वे सब आग में जल कर नष्ट हो जाएंगे।
उनमें से कुछ जैसे करकोटक ने वही किया जो वह चाहती थी ।
आदिशेष नागों में सबसे वरिष्ठ इन सभी बातों से निराश हो गये, तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किये और भूमि के आधार के रूप में कार्य करने पाताल लोक चले गये । वासुकी नागों का राजा बने ।
अभिशाप एक गंभीर मामला है।
संपूर्ण नाग वंश नष्ट होने वाला है।
मातृ शाप को टालने का कोई उपाय नहीं है।
वासुकी ने बुद्धिमान बुजुर्ग नागों को बुलाया ।
विचार करना कि क्या किया जा सकता है।
नागों के बीच भी महान और गुणवान होते हैं।
हम नागा मंदिरों में और अश्लेषा बली और नाग बली जैसी पूजाओं में उनकी पूजा करते हैं ।
उनके पास दैवी शक्ति है ।
वासुकी कह रहे हैं - मां ने ब्रह्मा के सामने हमें श्राप दिया।
और उन्होंने कुछ नही कहा ।
यही मुझे और अधिक परेशान कर रहा है ।
क्या हम शापित होने के लायक थे?
क्या हमने कुछ गलत किया?
हम सभी को एक साथ सोचना चाहिए कि इससे कैसे बाहर आ सकते हैं ।
मेहनत से सब कुछ संभव है।
क्या आपको याद नहीं है?
अग्नि ने देवों से भागकर खुद को एक बिल में छिपा लिया था।
देवों ने उनकी तलाश की।
मेहनत से कुछ भी संभव है।
कद्रूू ने कहा कि वे सभी एक यज्ञ में मर जाएंगे जो पांडव राजा जनमेजय द्वारा किया जाएगा।
नागों ने विवाद शुरू किया ।
यज्ञ नहीं होना चाहिए।
या फिर अगर होता है तो भी इसे असफल कर देना चाहिए ।
हम जनमेजय के पास ब्राह्मणों के वेश में जाएंगे और उनसे भिक्षा मांगेंगे और जब वह पूछते हैं कि आप भिक्षा के रूप में क्या चाहेंगे, तो हम कहेंगे कि यज्ञ मत करो ।
वह भिक्षा को मना नहीं कर सकता।
हम उसके मंत्री बनेंगे और उसका विश्वास हासिल करेंगे। यज्ञ करने से पहले वह हमसे परामर्श जरूर करेंगे।
उस समय हम कहेंगे कि यह यज्ञ मत करो।
अगर सर्प करेंगे तो आपको इहलोक और परलोक में गंभीर परिणाम भुगतने होंगे ।
या फिर यज्ञ शुरू होने पर भी हम यज्ञ के आचार्य को मार देंगे।
बहुत कम लोग ही सर्प यज्ञ की प्रक्रिया जानते हैं।
अगर हम उसे मारते हैं तो यज्ञ बंद हो जाएगा।
या फिर यज्ञ कराने वाले सभी पुरोहितों को हम मार देंगे। या फिर यज्ञ वेदी में सभी को मार डालो।
वरिष्ठ नाग बोले - ब्रह्माहत्या बडा अपराध है।
कष्ट से बाहर आने के लिए अधर्म नहीं करना चाहिए। कष्ट के समय में सिर्फ धर्म ही हमें बचा सकता है।
यदि हर कोई किसी समस्या का सामना करते सबमय अधर्म का सहारा ले लें तो पूरी दुनिया नष्ट हो जाएगी ।
कुछ अन्य नागों ने कहा कि जब वे यज्ञ के लिए अग्नि की स्थापना करेंगे तो हम बादल बन कर उस अग्नि पर बारिश शुरू कर देंगे । या फिर हम यज्ञ में इस्तेमाल होने वाले सभी बर्तन चोरी कर लेंगे।
या सभी द्रव्यों के ऊपर मल और मूत्र त्याग करके उन्हें मलिन कर देंगे ।
या हम उस यज्ञ में पुरोहितों के रूप में जाएंगे और ऐसी दक्षिणा मांगेंगे जो जनमेजय नहीं दे पाएगा, तो यज्ञ बंद हो जाएगा ।
कोई हत्या के विचार को लेकर वापस आया।
हम खुद जनमेजय को क्यों नहीं मारते ?
वह हमें मारने की कोशिश कर रहा है ।
कोई अधर्म नहीं है उसे मारने में ।
सुझाव समाप्त ।
उन सब ने वासुकी की ओर देखा ।
वासुकी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इनमें से कोई भी सुझाव काम करेगा ।
हमें दैवी सहाय की जरूरत है ।
क्योंकि इस खतरे की जड़ में एक अलौकिक अभिशाप है । कोई भी सांसारिक विषय से यह टाला नहीं जा सकता ।
केवल ईश्वरीय शक्ति ही हमें बचा सकती है ।
उस समय एलापत्र नामज नाग ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें पूरी तरह से हताश होने की जरूरत नहीं है ।
जब मां ने हमें श्राप दिया तो मैं इतना डर गया था कि मैं उसकी गोद में चढ गया ।
उस समय मैंने कुछ सुना ।
देवता लोग ब्रह्मा से पूछ रहे थे कि आपने इतना भयानक श्राप होने क्यों दिया?
ब्रह्मा ने कहा कि लापरवाह क्रूर जहरीले सांप हर जगह भरे पडे हैं
। वे सभी हत्या करने में लगे हैं ।
उनकी संख्या को नियंत्रण में लाना है।
इस के लिए सर्प यज्ञ सबसे कारगर तरीका होगा।
जहरीले क्रूर सांपों को खोजने के बजाय मंत्रों की शक्ति के द्वारा उन सभी को एक स्थान पर लाएं और उनका नाश करें।
यही योजना है।
यह पूरी दुनिया के हित के लिए है।
अच्छे नागों को कुछ नहीं होगा।
एक बार बुरे नागों का नाश हो जाने के बाद यज्ञ बंद हो जाएगा।
इसके लिए पहले ही व्यवस्था की जा चुकी है।
जरत्कारु नाम वाली वासुकी की बहन इसी नाम वाले मुनि से विवाह करेगी, उनका पुत्र सर्प यज्ञ को बंद कर देगा । देव इस घोषणा से संतुष्ट होकर वे वापस स्वर्गलोक चले गए।
तो राजन कृपया इस मुनि को खोजने का प्रयास करें जिसका नाम है जरत्कारु और अपनी बहन का विवाह उससे करा लें ।

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