विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम् |
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मस्ततः सुखम् ||
पढाई विनम्रता प्रदान करती है | विनम्रता के साथ मनुष्य योग्य बनता है | योग्य बनकर मनुष्य धन कमाता है और उस धन से धर्म का काम करता है | उस धर्म से वह सुख को पाता है |
नैमिषारण्य लखनऊ से ८० किलोमीटर दूर सीतापुर जिले में है । अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी है २०० किलोमीटर ।
व्यास जी के पितामह थे शक्ति महर्षि। उनकी पत्नी थी अदृश्यन्ती।
महागणपति मंत्र: बिना किसी प्रयास के कृपा, आशीर्वाद और प्रभाव प्राप्त करें
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशम�....
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ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वैश्रवणस्तथा। रक्ष�....
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ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम�....
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