विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम् |
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मस्ततः सुखम् ||

 

पढाई विनम्रता प्रदान करती है | विनम्रता के साथ मनुष्य योग्य बनता है | योग्य बनकर मनुष्य धन कमाता है और उस धन से धर्म का काम करता है | उस धर्म से वह सुख को पाता है |

 

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आपकी वेबसाइट अद्वितीय और शिक्षाप्रद है। -प्रिया पटेल

वेदधारा के प्रयासों के लिए दिल से धन्यवाद 💖 -Siddharth Bodke

वेदधारा से जुड़ना एक आशीर्वाद रहा है। मेरा जीवन अधिक सकारात्मक और संतुष्ट है। -Sahana

सत्य सनातन की जय हो💐💐💐 -L R Sharma

गुरुजी का शास्त्रों की समझ गहरी और अधिकारिक है 🙏 -चितविलास

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नैमिषारण्य कहां है ?

नैमिषारण्य लखनऊ से ८० किलोमीटर दूर सीतापुर जिले में है । अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी है २०० किलोमीटर ।

अदृश्यन्ती

व्यास जी के पितामह थे शक्ति महर्षि। उनकी पत्नी थी अदृश्यन्ती।

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