धर्म के सिद्धांत सीधे सर्वोच्च भगवान द्वारा स्थापित किए जाते हैं। ये सिद्धांत ऋषियों, सिद्धों, असुरों, मनुष्यों, विद्याधरों या चारणों द्वारा पूरी तरह से समझ में नहीं आते हैं। दिव्य ज्ञान मानवीय समझ से परे है और यहां तक कि देवताओं की भी समझ से परे है।
सूर्य देव के श्राप से निर्धन होकर शनि देव अपनी मां छाया देवी के साथ रहते थे। सूर्य देव उनसे मिलने आये। वह मकर संक्रांति का दिन था। शनि देव के पास तिल और गुड के सिवा और कुछ नहीं था। उन्होंने तिल और गुड समर्पित करके सूर्य देव को प्रसन्न किया। इसलिए हम भी प्रसाद के रूप में उस दिन तिल और गुड खाते हैं।
ॐ सुराचार्याय विद्महे सुरश्रेष्ठाय धीमहि| तन्नो गुरुः प्रचोदयात्|....
ॐ सुराचार्याय विद्महे सुरश्रेष्ठाय धीमहि|
तन्नो गुरुः प्रचोदयात्|
मकर संक्रान्ति
मकर संक्रांति सूर्य देव की पूजा होती है। उस दिन तांबे कलश ....
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यात्रा के समय सब से अच्छा दोस्त विद्या ही होता है | घर में प....
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रामो दाशरथिः सीतानायको लक्ष्मणाग्रजः । दशग्रीवहरश्चैव ....
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