गायत्री मंत्र का अर्थ - हम श्रेष्ठतम सूर्य भगवान पर ध्यान करते हैं। वे हमारी बुद्धि को प्रकाशित करें।
घी, दूध और दही के द्वारा ही यज्ञ किया जा सकता है। गायें अपने दूध-दही से लोगों का पालन पोषण करती हैं। इनके पुत्र खेत में अनाज उत्पन्न करते हैं। भूख और प्यास से पीडित होने पर भी गायें मानवों की भला करती रहती हैं।
ॐ चन्द्रपुत्राय विद्महे रोहिणीप्रियाय धीमहि| तन्नो बुधः प्रचोदयात्|....
ॐ चन्द्रपुत्राय विद्महे रोहिणीप्रियाय धीमहि|
तन्नो बुधः प्रचोदयात्|
त्रिपुर सुंदरी मंत्र के माध्यम से शक्ति और अनुग्रह
ॐ क्लीं क्लीं क्लीं श्रीं श्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं �....
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मनुष्य शरीर में क्या होता है, इसे जानना है तो यज्ञ की प्रक�....
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अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरण�....
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