संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले ह्यमृतोपमे|
सुभाषितरसास्वादः सङ्गतिः सुजनैः सह|
इस कडवें वृक्ष रूपी संसार में सिर्फ दो ही फल अमृत के समान होते हैं| पहला है सुभाषितों के रस का आस्वादन और दूसरा है अच्छे लोगों के साथ संगति|
वह धृतराष्ट्र के एक वैश्य महिला से उत्पन्न पुत्र था। वह कौरवों की सूची में शामिल नहीं है। कुरूक्षेत्र युद्ध के दौरान युयुत्सु पांडव पक्ष में शामिल हो गया। उन्होंने परीक्षित के शासन की देखरेख की और उन्हें सलाह दी।
अनाहत चक्र में बारह पंखुडियां हैं। इनमें ककार से ठकार तक के वर्ण लिखे रहते हैं। यह चक्र अधोमुख है। इसका रंग नीला या सफेद दोनों ही बताये गये है। इसके मध्य में एक षट्कोण है। अनाहत का तत्त्व वायु और बीज मंत्र यं है। इसका वाहन है हिरण। अनाहत में व्याप्त तेज को बाणलिंग कहते हैं।