संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले ह्यमृतोपमे|
सुभाषितरसास्वादः सङ्गतिः सुजनैः सह|

 

इस कडवें वृक्ष रूपी संसार में सिर्फ दो ही फल अमृत के समान होते हैं| पहला है सुभाषितों के रस का आस्वादन और दूसरा है अच्छे लोगों के साथ संगति|

 

113.0K
17.0K

Comments

Security Code

45584

finger point right
आपकी वेबसाइट बहुत ही अद्भुत और जानकारीपूर्ण है।✨ -अनुष्का शर्मा

वेदधारा से जुड़ना एक आशीर्वाद रहा है। मेरा जीवन अधिक सकारात्मक और संतुष्ट है। -Sahana

शास्त्रों पर स्पष्ट और अधिकारिक शिक्षाओं के लिए गुरुजी को हार्दिक धन्यवाद -दिवाकर

गुरुजी का शास्त्रों की समझ गहरी और अधिकारिक है 🙏 -चितविलास

Om namo Bhagwate Vasudevay Om -Alka Singh

Read more comments

Knowledge Bank

युयुत्सु

वह धृतराष्ट्र के एक वैश्य महिला से उत्पन्न पुत्र था। वह कौरवों की सूची में शामिल नहीं है। कुरूक्षेत्र युद्ध के दौरान युयुत्सु पांडव पक्ष में शामिल हो गया। उन्होंने परीक्षित के शासन की देखरेख की और उन्हें सलाह दी।

अनाहत चक्र के गुण और स्वरूप क्या हैं?

अनाहत चक्र में बारह पंखुडियां हैं। इनमें ककार से ठकार तक के वर्ण लिखे रहते हैं। यह चक्र अधोमुख है। इसका रंग नीला या सफेद दोनों ही बताये गये है। इसके मध्य में एक षट्कोण है। अनाहत का तत्त्व वायु और बीज मंत्र यं है। इसका वाहन है हिरण। अनाहत में व्याप्त तेज को बाणलिंग कहते हैं।

Quiz

पार्वती देवी का पिता कौन है ?

Recommended for you

मूक प्रेम

मूक प्रेम

Click here to know more..

विश्व का उपादान और उसे बनाने वाला

विश्व का उपादान और उसे बनाने वाला

इस प्रवचन से जानिए- १. विश्व का उपादान क्या है? २. विश्व को ब�....

Click here to know more..

गणेश अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

गणेश अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

गणेश्वरो गणक्रीडो महागणपतिस्तथा । विश्वकर्ता विश्वमुख�....

Click here to know more..