वाणी रसवती यस्य यस्य श्रमवती क्रिया|
लक्ष्मी दानवती यस्य सफलं तस्य जीवनम्|
जो मधुर मधुर वचन बोलता हो, जो हर काम में मेहनत करता हो, और जो अपने हाथ में आये धन में अधिकतर भाग दूसरों को दान करता हो, उस का जीवम सफल और परिपूर्ण माना जाता है|
महाभारत के युद्ध में कुल मिलाकर १८ अक्षौहिणी सेना समाप्त हुई। एक अक्षौहिणी में २१,८७० रथ, २१,८७० हाथी, ६५, ६१० घुड़सवार एवं १,०९,३५० पैदल सैनिक होते हैं।
जिसने इहलोक में जितना अन्नदान किया उसके लिए परलोक में उसका सौ गुणा अन्न प्रतीक्षा करता रहता है। जो दूसरों को न खिलाकर स्वयं ही खाता है वह जानवर के समान होता है।