स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा ।
सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ॥
किसी के स्वभाव को समझाकर बदला नहीं जा सकता।
पानी को जितना भी उबाल लो, वह वापस ठंडा हो ही जाता है।
हयग्रीव का अर्थ है घोडे के सिरवाले। हयग्रीव भगवान ज्ञान के स्वामी हैं।
१. सत्त्वगुणप्रधान ज्ञानशक्ति २. रजोगुणप्रधान क्रियाशक्ति ३. तमोगुणप्रधान मायाशक्ति ४. विभागों में विभक्त प्रकृतिशक्ति ५. अविभक्त शाम्भवीशक्ति (मूलप्रकृति)।
नकारात्मक विचारों को दूर करने के लिए कौमारी मंत्र
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Click here to know more..देवताओं ने भी महामाया के प्रभाव को पूर्ण रूप से नहीं जाना है
शिव कुलीर अष्टक स्तोत्र
तवास्याराद्धारः कति मुनिवराः कत्यपि सुराः तपस्या सन्ना....
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