सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयान्न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्|
प्रियञ्च नानृतं ब्रूयादेष धर्मः सनातनः|
 
 
सच कहो, लेकिन सिर्फ उस सच को कहो जो दूसरों को अच्छा लगे| ऐसे सच को मत कहो जिससे दूसरों को बुरा लगे| दूसरों को अच्छा लगता है - इस कारण से झूठ मत कहो| यह ही सर्वदा सनातन धर्म के नियम हैं|
 
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हिंदू धर्म के पुनरुद्धार और वैदिक गुरुकुलों के समर्थन के लिए आपका कार्य सराहनीय है - राजेश गोयल

आपका हिंदू शास्त्रों पर ज्ञान प्रेरणादायक है, बहुत धन्यवाद 🙏 -यश दीक्षित

शास्त्रों पर गुरुजी का मार्गदर्शन गहरा और अधिकारिक है 🙏 -Ayush Gautam

वेदधारा से जब से में जुड़ा हूं मुझे अपने जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिला वेदधारा के विचारों के माध्यम से हिंदू समाज के सभी लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। -नवेंदु चंद्र पनेरु

नियम से आपका चैनल देखता हूं पूजन मंत्र की जानकारी मिलती है मन प्रसन्न हो जाता है आपका आभार धन्यवाद। मुझे अपने साथ जोड़ने का -राजेन्द्र पाण्डेय

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हिंदू धर्म में आरती क्या है?

आरती करने के तीन उद्देश्य हैं। १. नीरांजन - देवता के अङ्ग-प्रत्यङ्ग चमक उठें ताकि भक्त उनके स्वरूप को अच्छी तरह समझकर अपने हृदय में बैठा सकें। २. कष्ट निवारण - पूजा के समय देवता का भव्य स्वरूप को देखकर उनके ऊपर भक्तों की ही नज़र पड सकती है। छोटे बच्चों की माताएँ जैसे नज़र उतारती हैं, ठीक वैसे ही आरती द्वारा देवता के लिए नज़र उतारी जाती है। ३, त्रुटि निवारण - पूजा में अगर कोई त्रुटि रह गई हो तो आरती से उसका निवारण हो जाता है।

भक्ति योग -

भक्ति योग हमें प्रेम, कृतज्ञता और भक्ति से भरे हृदय को विकसित करते हुए, हर चीज में परमात्मा को देखना सिखाता है।

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