आरती करने के तीन उद्देश्य हैं। १. नीरांजन - देवता के अङ्ग-प्रत्यङ्ग चमक उठें ताकि भक्त उनके स्वरूप को अच्छी तरह समझकर अपने हृदय में बैठा सकें। २. कष्ट निवारण - पूजा के समय देवता का भव्य स्वरूप को देखकर उनके ऊपर भक्तों की ही नज़र पड सकती है। छोटे बच्चों की माताएँ जैसे नज़र उतारती हैं, ठीक वैसे ही आरती द्वारा देवता के लिए नज़र उतारी जाती है। ३, त्रुटि निवारण - पूजा में अगर कोई त्रुटि रह गई हो तो आरती से उसका निवारण हो जाता है।
भक्ति योग हमें प्रेम, कृतज्ञता और भक्ति से भरे हृदय को विकसित करते हुए, हर चीज में परमात्मा को देखना सिखाता है।
सीता राम मूल मंत्र
हुं जानकीवल्लभाय स्वाहा....
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ॐ ह्रीँ महादेव्यै पद्मावत्यै नमः । ॐ ह्रीँ कल्णात्यै पद्....
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