अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्ति मूलमनौषधम्|
अयोग्यः पुरुषो नास्ति योजकस्तत्र दुर्लभः|

 

कोई भी ऐसा अक्षर नहीं है जो किसी मंत्र में उपयुक्त न हो| कोई भी ऐसा जड नही है जो औषधि मे उपयुक्त न हो| ऐसे ही इस संसार में कोई भी ऐसा पुरुष नहीं हो जो नालायक हो| पर सही पुरुष को सही काम मे मार्ग दर्शाने वाले लोग बहुत कम होते हैं|

 

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😊😊😊 -Abhijeet Pawaskar

वेदधारा की वजह से हमारी संस्कृति फल-फूल रही है 🌸 -हंसिका

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किसकी स्मृति में नैमिषारण्य में प्रतिवर्ष फाल्गुन महीने में मेला लगता है ?

महर्षि दधीचि की स्मृति में ।

भक्ति के माध्यम से संतोष प्राप्त करें

जीवन में सच्चा संतोष और खुशी पाने के लिए, व्रज की महिलाओं से प्रेरणा लें। वे सबसे भाग्यशाली हैं क्योंकि उनका मन और दिल पूरी तरह से कृष्ण को समर्पित है। चाहे वे गायों का दूध निकाल रही हों, मक्खन मथ रही हों, या अपने बच्चों की देखभाल कर रही हों, वे हमेशा कृष्ण का गुणगान करती हैं। अपने जीवन के हर पहलू में कृष्ण को शामिल करके, वे शांति, खुशी और संतोष का गहरा अनुभव करती हैं। इस निरंतर भक्ति के कारण, सभी इच्छित चीजें स्वाभाविक रूप से उनके पास आती हैं। यदि आप भी अपने जीवन में कृष्ण को केंद्र में रखेंगे, तो आप भी हर पल में संतोष पा सकते हैं, चाहे वह कार्य कितना भी साधारण क्यों न हो।

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तुलसीदास जी किसकी भक्ति करते थे?

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