नाऽभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने|
विक्रमार्जितसत्त्वस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता|

 

शेर का वन में कोई राजाभिषेक नहीं करता| जैसे मनुष्यों के राजा का संस्कार होता है वैसे कोई संस्कार भी शेर का वन में किया नहीं जाता| फिर भी वह बाकी मृगों के द्वारा एनं का राजा माना जाता है| क्योंकि शेर ने वह राज्य अपने पराक्रम से प्राप्त किया है| ऐसे ही जिस चीज को हम पराक्रम से, अपने बल से प्राप्त करते हैं, वह हमारा होता है|

 

133.5K
20.0K

Comments

Security Code

35370

finger point right
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -User_sdh76o

भारतीय संस्कृति व समाज के लिए जरूरी है। -Ramnaresh dhankar

आपकी वेबसाइट से बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। -दिशा जोशी

आपकी वेबसाइट से बहुत सी नई जानकारी मिलती है। -कुणाल गुप्ता

Om namo Bhagwate Vasudevay Om -Alka Singh

Read more comments

Knowledge Bank

पुष्पादि चढ़ानेकी विधि

फूल, फल और पत्ते जैसे उगते हैं, वैसे ही इन्हें चढ़ाना चाहिये'। उत्पन्न होते समय इनका मुख ऊपरकी ओर होता है, अतः चढ़ाते समय इनका मुख ऊपरकी ओर ही रखना चाहिये। इनका मुख नीचेकी ओर न करे । दूर्वा एवं तुलसीदलको अपनी ओर और बिल्वपत्र नीचे मुखकर चढ़ाना चाहिये। इनसे भिन्न पत्तोंको ऊपर मुखकर या नीचे मुखकर दोनों ही प्रकारसे चढ़ाया जा सकता है । दाहिने हाथ करतलको उतान कर मध्यमा, अनामिका और अँगूठेकी सहायतासे फूल चढ़ाना चाहिये।

जमवाय माता पहले क्या कहलाती थी?

जमवाय माता पहले बुढवाय माता कहलाती थी। दुल्हेराय का राजस्थान आने के बाद ही इनका नाम जमवाय माता हुआ।

Quiz

कर्ण को ब्रह्मास्त्र किसने प्रदान किया ?

Recommended for you

पशु पक्षियों की सेवा भगवान की सेवा

पशु पक्षियों की सेवा भगवान की सेवा

Click here to know more..

पातिव्रत्य की महिमा

पातिव्रत्य की महिमा

Click here to know more..

दुर्गा दुस्वप्न निवारण स्तोत्र

दुर्गा दुस्वप्न निवारण स्तोत्र

दुर्गे देवि महाशक्ते दुःस्वप्नानां विनाशिनि। प्रसीद मय....

Click here to know more..