परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः परोपकाराय वहन्ति नद्यः|
परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकारार्थमिदं शरीरम्|
परोपकार - दूसरों की सहायता करना|
दूसरों की सहायता करने के लिए ही वृक्ष फल देते हैं| दूसरों की सहायता करने के लिए ही नदियां बहती हैं| दूसरों की सहायता करने के लिए ही गाय दूध देती है| हमारा यह शरीर भी दूसरों की सहायता करने के लिए ही है|
अतिथि को भोजन कराने के बाद ही गृहस्थ को भोजन करना चाहिए। अघं स केवलं भुङ्क्ते यः पचत्यात्मकारणात् - जो अपने लिए ही भोजन बनाता है व्ह केवल पाप का ही भक्षण कर रहा है।
ऋद्धिदां वृद्धिदां चैव मुक्तिदां सर्वकामदाम्। लक्ष्मीस्वरूपां परमां राधां सहचरीं पराम्। गवामधिष्ठातृदेवीं गवामाद्यां गवां प्रसूम्। पवित्ररूपां पूज्यां च भक्तानां सर्वकामदाम्। यया पूतं सर्वविश्वं तां देवीं सुरभीं भजे।
सुरक्षा के लिए गोवर्धनधारी कृष्ण मंत्र
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