अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्|
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्|

 

यह व्यक्ति अपना है और यह व्यक्ति पराया है, ऐसी सोच छोटे लोगों की होती है| महान पुरुषों के लिए तो यह समस्त भूमि अपने परिवार के समान होता है|

 

 

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प्रणाम गुरूजी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -प्रभास

वेदधारा की समाज के प्रति सेवा सराहनीय है 🌟🙏🙏 - दीपांश पाल

बहुत बढिया चेनल है आपका -Keshav Shaw

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