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वेद पाठशालाओं और गौशालाओं के लिए आप जो अच्छा काम कर रहे हैं, उसे देखकर बहुत खुशी हुई 🙏🙏🙏 -विजय मिश्रा

वेदधारा के माध्यम से हिंदू धर्म के भविष्य को संरक्षित करने के लिए आपका समर्पण वास्तव में सराहनीय है -अभिषेक सोलंकी

आपकी वेबसाइट से बहुत कुछ जानने को मिलता है।🕉️🕉️ -नंदिता चौधरी

भारतीय संस्कृति व समाज के लिए जरूरी है। -Ramnaresh dhankar

Hamen isase bahut jankari milti hai aur mujhe mantron ki bhi jankari milti hai -User_spaavj

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अनाहत चक्र जागरण के फायदे और लक्षण क्या हैं?

शिव संहिता के अनुसार अनाहत चक्र को जागृत करने से साधक को अपूर्व ज्ञान उत्पन्न होता है, अप्सराएं तक उस पर मोहित हो जाती हैं, त्रिकालदर्शी बन जाता है, बहुत दूर का शब्द भी सुनाई देता है, बहुत दूर की सूक्ष्म वस्तु भी दिखाई देती है, आकाश से जाने की क्षमता मिलती है, योगिनी और देवता दिखाई देते हैं, खेचरी और भूचरी मुद्राएं सिद्ध हो जाती हैं। उसे अमरत्व प्राप्त होता है। ये हैं अनाहत चक्र जागरण के लाभ और लक्षण।

नैमिषारण्य कहां है ?

नैमिषारण्य लखनऊ से ८० किलोमीटर दूर सीतापुर जिले में है । अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी है २०० किलोमीटर ।

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कितने वेद हैं ?

जो संसार में रहकर भी साधना कर सकते हैं, वे ही सचमुच बहादुर हैं हरिनाम सुनते ही जिसकी आँखों से सच्चे प्रेमाश्रु बह निकलते हैं, वही नाम-प्रेमी है डुबकी लगाते रहो, रत्न अवश्य मिल जाएगा । साधना करते रहो, ईश्वर की कृपा अवश्य होगी ।....

जो संसार में रहकर भी साधना कर सकते हैं, वे ही सचमुच बहादुर हैं
हरिनाम सुनते ही जिसकी आँखों से सच्चे प्रेमाश्रु बह निकलते हैं, वही नाम-प्रेमी है
डुबकी लगाते रहो, रत्न अवश्य मिल जाएगा । साधना करते रहो, ईश्वर की कृपा अवश्य होगी ।
मरने के समय मन में जो भाव है, आगे वही मिलता है । इसलिए सर्वदा भगवान का स्मरण करते रहो ताकि अंत में भगवान ही मन में रहें और वे मिल जाएं ।

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