अच्युतं केशवं कृष्णदामोदरं
रामनारायणं जानकीवल्लभम्|
कौन कहता है भगवान आते नहीं
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं|
कौन कहता है भगवान खाते नहीं
बेरशबरी के जैसे खिलाते नहीं|
कौन कहता है भगवान सोते नहीं
माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं|
कौन कहता है भगवान नाचते नहीं
तुम गोपी के जैसे नचाते नहीं |
अच्युतं केशवं कृष्णदामोदरं
रामनारायणं जानकीवल्लभम्|
पुराणों के अनुसार, पृथ्वी ने एक समय पर सभी फसलों को अपने अंदर खींच लिया था, जिससे भोजन की कमी हो गई। राजा पृथु ने पृथ्वी से फसलें लौटाने की विनती की, लेकिन पृथ्वी ने इनकार कर दिया। इससे क्रोधित होकर पृथु ने धनुष उठाया और पृथ्वी का पीछा किया। अंततः पृथ्वी एक गाय के रूप में बदल गई और भागने लगी। पृथु के आग्रह पर, पृथ्वी ने समर्पण कर दिया और उन्हें कहा कि वे उसका दोहन करके सभी फसलों को बाहर निकाल लें। इस कथा में राजा पृथु को एक आदर्श राजा के रूप में दर्शाया गया है, जो अपनी प्रजा की भलाई के लिए संघर्ष करता है। यह कथा राजा के न्याय, दृढ़ता, और जनता की सेवा के महत्व को उजागर करती है। यह कथा मुख्य रूप से विष्णु पुराण, भागवत पुराण, और अन्य पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित है, जहाँ पृथु की दृढ़ता और कर्तव्यपरायणता को दर्शाया गया है।
अंधकूप एक नरक नाम है जहां साधु लोगों और भक्तों को नुकसान पहुंचाने वाले भेजे जाते हैं। यह नरक क्रूर जानवरों, सांपों और कीड़ों से भरा हुआ है और वे पापियों को तब तक यातनाएँ देते रहेंगे, जब तक कि उनकी अवधि समाप्त न हो जाए।
अपनी भूमि और घर की रक्षा के लिए मंत्र
श्वानध्वजाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नः क्षेत्रपालः ....
Click here to know more..एक अनोखा मंदिर जो मानसून की भविष्यवाणी करता है
एकदंत स्तुति
गणेशमेकदन्तं च हेरम्बं विघ्ननायकम्। लम्बोदरं शूर्पकर्�....
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