अनाहत चक्र में बारह पंखुडियां हैं। इनमें ककार से ठकार तक के वर्ण लिखे रहते हैं। यह चक्र अधोमुख है। इसका रंग नीला या सफेद दोनों ही बताये गये है। इसके मध्य में एक षट्कोण है। अनाहत का तत्त्व वायु और बीज मंत्र यं है। इसका वाहन है हिरण। अनाहत में व्याप्त तेज को बाणलिंग कहते हैं।
अलीगढ़ का मूल नाम कोल (कोइल) था। यह नाम बलराम ने रखा था जब उन्होंने यहां कोल नामक असुर को हराया था। कोल बाद में अलीगढ़ बन गया।
छोटी बातों की उपेक्षा करने से वे बड़ी आपत्तियों के कारण हो सकती हैं
छोटी बातों को नजरअंदाज करने से बडी आपत्तियां हो सकती है। �....
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ललिता पंचक स्तोत्र
प्रातः स्मरामि ललितावदनारविन्दं बिम्बाधरं पृथुलमौक्त�....
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