महाभारत के अनुसार मुख्य नागों के नाम जानिए
दक्षिणा एक पारंपरिक उपहार या भेंट है जो एक पुजारी, शिक्षक, या गुरु को सम्मान और धन्यवाद के प्रतीक के रूप में दी जाती है। दक्षिणा धन, वस्त्र, या कोई मूल्यवान चीज हो सकती है। लोग दक्षिणा स्वेच्छा से उन लोगों को देते हैं जो अपने जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए समर्पित करते हैं। यह उन लोगों को सम्मान और समर्थन देने के लिए दी जाती है।
मार्कंडेय का जन्म ऋषि मृकंडु और उनकी पत्नी मरुद्मति के कई वर्षों की तपस्या के बाद हुआ था। लेकिन, उनका जीवन केवल 16 वर्षों के लिए निर्धारित था। उनके 16वें जन्मदिन पर, मृत्यु के देवता यम उनकी आत्मा लेने आए। मार्कंडेय, जो भगवान शिव के परम भक्त थे, शिवलिंग से लिपटकर श्रद्धा से प्रार्थना करने लगे। उनकी भक्ति से प्रभावित होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें अमर जीवन का वरदान दिया, और यम को पराजित किया। यह कहानी भक्ति की शक्ति और भगवान शिव की कृपा को दर्शाती है।
नैमिषारण्य में उग्रश्रवा सौती ने ऋषियों को अरुण और गरुड के जन्म के बारे में बताया । कैसे स्वर्ग से नागों के लिए अमृत लाकर दिया अपनी मां और अपने आप को गुलामी से मुक्त कराया, ये सब । इसके बाद ऋषियों ने सौती से पूछा - हमें नागों �....
नैमिषारण्य में उग्रश्रवा सौती ने ऋषियों को अरुण और गरुड के जन्म के बारे में बताया ।
कैसे स्वर्ग से नागों के लिए अमृत लाकर दिया अपनी मां और अपने आप को गुलामी से मुक्त कराया, ये सब ।
इसके बाद ऋषियों ने सौती से पूछा -
हमें नागों के नाम बताएंगे ?
तब तक नाग करोडों में हो चुके थे ।
सबका नाम बताना तो संभव नहीं था ।
सौती ने कुछ मुख्य नागों का नाम बताया ।
नागों में सबसे पहले आदिशेष का जन्म हुआ ।
उसके बाद वासुकि, ऐरावत, तक्षक, कर्कोटक, धनंजय, कालिय, मणिनाग, आपूरण, पिंजरक, एलापत्र, वामन, नील, अनील, कल्माष, शबल, आर्यक, उग्रक, कलशपोतक, सुमना, दधिमुख, विमलपिण्डक, आप्त, एक और कर्कोटक, शंख, वालिशिख, निष्टानक, हेमगुह, नहुष, पिंगल, बाह्यकर्ण, हस्तिपद, मुद्गरपिण्डक, कम्बल, अश्वतर, कालीयक, वृत्त, संवर्तक, पद्म, एक और पद्म, शंखमुख, कूष्माण्डक, पिण्डारक, करवीर, पुष्पदंष्ट्र, बिल्वक, बिल्वपाण्डुर, मूषकाद, शंखशिरा, पूर्णभद्र, हरिद्रक, अपराजित, ज्योतिक,
श्रीवह, कौरव्य, धृतराष्ट्र, शंखपिण्ड, विरजा, सुबाहु, शालिपिण्ड, हस्तिपिण्ड, पिठरक, सुमुख, कौणपाशन, कुठर, कुंजर, प्रभाकर, कुमुद, कुमुदाक्ष, तित्तिरि, हलिक, कर्दम, बहुमूलक, कर्कर, अकर्कर, कुण्डोदर, और महोदर ।
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नमस्तुभ्यं भगवते वासुदेवाय धीमहि| प्रद्युम्नायानिरुद्�....
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