ॐ पूर्व- कपि-मुखाय पंचमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल- शत्रुसंहरणाय स्वाहा ।
विधि - हनुमान जी का स्मरण और पूजा करते हुए प्रति दिन एक माला करें । दुश्मन हार जाता है ।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ॐ स्वाहा ॐ गरुड सं हुँ फट् । किसी रविवार या मंगलवार के दिन इस मंत्र को दस बर जपें और दस आहुतियां दें। इस प्रकार मंत्र को सिद्ध करके जरूरत पडने पर मंत्र पढते हुए फूंक मारकर भभूत छिडकें ।
श्रीकृष्ण और बलराम जी के चारों तरफ घंटी और घुंघरू की आवाज निकालती हुई गाय ही गाय हैं। गले में सोने की मालाएं, सींगों पर सोने का आवरण और मणि, पूंछों में नवरत्न का हार। वे सब बार बार उन दोनों के सुन्दर चेहरों को देखती हैं।