164.3K
24.6K

Comments

Security Code

53567

finger point right
वेदधारा ने मेरी सोच बदल दी है। 🙏 -दीपज्योति नागपाल

गुरुजी का शास्त्रों की समझ गहरी और अधिकारिक है 🙏 -चितविलास

वेदाधरा से हमें नित्य एक नयी उर्जा मिलती है ,,हमारे तरफ से और हमारी परिवार की तरफ से कोटिश प्रणाम -Vinay singh

Yeah website hamare liye to bahut acchi hai Sanatan Dharm ke liye ek Dharm ka kam kar rahi hai -User_sn0rcv

जो लोग पूजा कर रहे हैं, वे सच में पवित्र परंपराओं के प्रति समर्पित हैं। 🌿🙏 -अखिलेश शर्मा

Read more comments

गरुड देवों को हराकर स्वर्ग से अमृत कुम्भ लेकर आये ।
यह बताओ , देवता लोगों ने अमृत का पान किया है । फिर भी कैसे हारे ?
अमृत अमरत्व प्रदान करता है ।
ऐसा नहीं कि अमृत पीओगे तो समस्यायें नहीं आएंगी या घायल नहीं होंगे या पराजित नहीं होंगे ।

अमृत कुम्भ को लिये गरुड उस जगह की ओर गये जहां उनकी मां थी ।
नागों को अमृत सौंपने ताकि मां और बेटा दोनों को गुलामी से छुटकारा मिलें ।
गरुड देवों को भी हरानेवाले हैं ?
तो नागों को यूं ही मारकर गुलामी से बाहर नहीं आ सकते थे ?
नहीं, मां ने वचन दिया है न ?
उसे कैसे तोड सकते हैं ?
बाजी लगायी थी बहन कद्रू के साथ । अगर मैं जीतूंगी तो तू मेरी दासी, अगर मैं हारी तो मैं तेरी दासी ।
ये लोग कभी वचन नहीं तोडते ।
यही उनकी ताकत है ।
वच्न तोडना झूठ बोलने के बराबर है ।
जो झूठ बोलता है वह अंदर से कमजोर होता जाता है ।
झूठ बोलना खुद के जडों को काटने जैसा है ।
अगर सत्य नामक स्थल पर अपने आप को प्रतिष्ठित रखोगे तो जीत और सफलता अपने आप आ जाएंगे ।
पर झूठे व्यक्ति की सफलता चिरकाल तक नहीं रहती ।

क्या गरुड अमृत पीकर अपने आप को अमर नहीं बना सकते थे ?
नहीं करेंगे । क्यों कि वह नागों के लिए है ।
गरुड जब आकाश मार्ग से अमृत लिये जा रहे थे तो श्रीमन्नारायण ने देखा ।
गरुड के साहस को देखकर भगवान भी विस्मित हो गये ।
भगवान ने कहा जो चाहे वर मांगो ।
गरुड ने कहा मैं आपसे भी ऊंचा रहना चाहता हूं ।
भगवान ने गरुड को अपने ध्वज में स्थान दे दिया । चिह्न के रूप में ।
और मुझे अमृत पिये बिना ही अमरत्व और नित्य यौवन प्रदान कीजिये ।
वह भी दे दिया भगवान ने ।
नादान तो हैं ही गरुड ।
बोले भगवान से - आप भी मुझसे वर मांग लो ।
मेरा वाहन बन जाओ ।

इन्द्र देव छोडे नहीं ।
गरुड का पीछा करते आ गये ।
ओर वज्रायुध से गरुड के ऊपर प्रहार किये ।
कुछ नहीं हुआ ।
गरुड ने कहा - मैं उस महर्षि का आदर करता हूं जिनकी हड्डियों से वज्रायुध बना है, मैं आपका भी आदर करता हूं ।
इसलिए वज्रायुध के प्रहार को स्वीकार करके मेरे एक पंख को एक पर को गिरा देता हूं ।
वह पंख इतना खूबसूरत था कि गरुड को उसी से सुपर्ण नाम मिला । पर्ण का अर्थ है पर या पंख ।
सुन्दर पंखोंवाले सुपर्ण ।
इन्द्र देव बोले - मैं आपका दोस्त बनना चाहता हूं । और यह भी देखना चाहता हूं कि आप कितने बलवान हो ।
गरुड बोले - मित्र तो बन जाएंगे , लेकिन अच्छे लोग अपनी शक्ति का दिखावा नहीं करते ।

फिर भी आप मेरे मित्र हो चुके हैं और पूछ रहे हैं तो बताता हूं ।
इस धर्ति के जितने पहाड समुद्र जंगल इन सबको मेरे एक पंख के ऊपर लेकर मैं आकाश में उड सकता हूं ।
इस संपूर्ण विश्व को ही मेरे पीठ पर लेकर मैं उड सकताहूं ।
इन्द्र ने कहा - अगर आप अमृत नहीं पीना चाहते हैं तो वापस दे दीजिए ।
आप जिनको अमृत देने जा रहे हैं वे अच्छे नहीं हैं । उनसे जगत की हानी ही होगी ।
मैं मजबूर हूं । उन्हें मैं ने बोल दिया कि मैं अमृत ला देता हूं । पर मैं ने ऐसा कभी नहीं कहा है कि मैं तुम लोगों को अमृत पिलाऊंगा ।
इसलिए मैं इस कुम्भ को उनके सामने रख दूंगा। आपको जो चाहे कीजिए । मैं आपको नहीं रोकूंगा ।
इन्द्र देव ने कहा - वर मांगिए
सांपों को मेरा भोजन बना दीजिए ।
इस प्रकार सांप गरुड का भोजन बन गये ।
गरुड ने नागों के सामने कुशों के ऊपर अमृत कुम्भ रख दिया ।
अपने वचन को निभाये ।
नाग भी बोले - अब से तुम और तुम्हारी मां दोनों ही स्वतंत्र हो ।
गरुड ने कहा - अमृत बडा पवित्र है, पीने से पहले स्नान तो कर लीजिए ।
जब नाग नहाने गये उस समय इन्द्र देव अमृत को लेकर स्वर्ग चले गये ।
नाग नहाकर आये तो अमृत गायब ।
कुछ तो उन कुशों के ऊपर गिरा होगा सोचकर कुशों को चाटने लगे ।
कुश के तीक्ष्ण कगारों में लगकर उनके जीभ दो भागों में फट गये । तबसे सारे नाग दो जीभवाले हो गये ।
अमृत का स्पर्श होने से कुश भी पवित्र बन गये ।

Knowledge Bank

विभीषण द्वारा दी गई जानकारी ने लंका युद्ध में श्रीराम जी की जीत में कैसे योगदान दिया?

लंका के रहस्यों के बारे में विभीषण के गहन ज्ञान ने राम जी की रणनीतिक चालों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने रावण पर उनकी विजय में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कुछ उदाहरण हैं - रावण की सेना और उसके सेनापतियों की ताकत और कमजोरियों के बारे में विस्तृत जानकारी, रावण के महल और किलेबंदी के बारे में विवरण, और रावण की अमरता का रहस्य। यह जटिल चुनौतियों से निपटने के दौरान अंदरूनी जानकारी रखने के महत्व को दर्शाता है। आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में, किसी स्थिति, संगठन या समस्या के बारे में विस्तृत, अंदरूनी जानकारी इकट्ठा करने से आपकी रणनीतिक योजना और निर्णय लेने में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

शिव पुराण के अनुसार भस्म लगाने के लिए कौन से स्थान अनुशंसित हैं?

शिव पुराण में माथे, दोनों हाथों, छाती और नाभि पर भस्म लगाने की सलाह दी गई है।

Quiz

अगस्त्य और लोपामुद्रा के पुत्र का नाम ?

Recommended for you

महामृत्युंजय मंत्र जाप विधि

महामृत्युंजय मंत्र जाप विधि

Click here to know more..

अनिष्ट शक्तियों से रक्षा के लिए मंत्र

अनिष्ट शक्तियों से रक्षा के लिए मंत्र

स्तुवानमग्न आ वह यातुधानं किमीदिनम् । त्वं हि देव वन्दि�....

Click here to know more..

गुरु अष्टोत्तर शतनामावलि

गुरु अष्टोत्तर शतनामावलि

ॐ सद्गुरवे नमः । ॐ अज्ञाननाशकाय नमः । ॐ अदम्भिने नमः । ॐ अ�....

Click here to know more..