भगवान की भक्ति और सेवा ६४ प्रकारों से की जाती है। जानिए इनके बारे में ।
भक्ति साधना के ६४ अंग इस प्रकार हैं -
- श्रीगुरुचरणों की शरण में जाना ।
- श्रीकृष्ण-मन्त्र की दीक्षा लेना और जाप की विधि सीखना ।
- गुरु की सेवा करना ।
- श्रेष्ठ भक्तों के मार्ग का अनुसरण करना।
- भागवत धर्म के बारे में अपने संदेहों का निवारण करना ।
- भगवान के निमित्त सुख-भोगों का त्याग करना ।
- मथुरा, वृन्दावन आदि दिव्य धामों में निवास करना ।
- आवश्यक वस्तुओं को ही स्वीकार करना ।
- एकादशी तिथि का पालन करना |
- पीपल आदि वृक्षों का आदर सम्मान करना ।
- श्रीकृष्ण से विमुख लोगों के सङ्ग में न जाना ।
- जिनकी योग्यता नहीं है, उन्हें शिष्य न बनाना ।
- भगवद्भक्ति के विरोधी ग्रन्थों को नहीं पढ़ना ।
- भगवद्भक्ति के विरोधी कार्यो मे भाग न लेना ।
- कृपणता न करना ।
- शोक, क्रोध आदियों को नियंत्रण में रखना
- अन्य देवताओं की अवज्ञा न करना ।
- किसी भी प्राणी को उद्वेग न पहुँचाना ।
- सेवापराधों तथा नामापराधों से बचना ।
- भगवान तथा भक्तों की निन्दा न सुनना ।
- ऊर्ध्वपुण्ड्र, मुद्रा आदि वैष्णव चिह्नों का धारण करना ।
- भगवन्नाम के अक्षरों को शरीर पर न्यास करना ।
- भगवान को समर्पित की हुई माला आदि धारण करना ।
- भगवद्विग्रह के सामने प्रेमावेश में नाचना ।
- भगवद्विग्रह को दण्डवत नमस्कार करना ।
- भगवद्विग्रह का दर्शन होने पर खडे हो जाना ।
- भगवान की सवारी के पीछे-पीछे चलना ।
- भगवान के मन्दिरों में जाना ।
- भगवान के मन्दिर की परिक्रमा करना ।
- भगवान के श्रीविग्रह का पूजन करना ।
- भगवान के श्रीविग्रह की परिचर्या करना - उन्हें पंखा झलना, उनके लिये प्रसाद तैयार करना, माला गूँथना, चन्दन घिसना, उनके मन्दिर को साफ रखना इत्यादि ।
- भगवान को गीत सुनाना ।
- भगवान के नाम, गुण, लीला आदि का कीर्तन करना ।
- भगवान के मन्त्र का जप करना ।
- भगवान से प्रार्थना करना ।
- भगवान के स्तोत्रों का पाठ करना ।
- भगवान के प्रसादका ग्रहण करना ।
- भगवान के चरणामृत का पान करना ।
- भगवान को चढ़ी हुई धूपके गन्धको ग्रहण करना ।
- पवित्रता के साथ भगवान के श्रीविग्रहका स्पर्श करना ।
- भगवान के श्रीविग्रह का दर्शन करना ।
- भगवान की आरती का दर्शन करना ।
- भगवान के नाम, गुण, लीला आदिका श्रवण करना ।
- भगवान की कृपा की प्रतीक्षा करना ।
- भगवान का स्मरण करते रहना ।
- भगवान पर ध्यान करते रहना ।
- अपने द्वारा किये गये शुभ कमों को भगवान को समर्पित करना ।
- भगवान पर दृढ़ विश्वास करना ।
- अपनी आत्मा तथा उससे सम्बन्ध रखनेवाले व्यक्तियों एवं वस्तुओं को भगवान की शरण में रखना ।
- अपनी प्रिय वस्तुओं का भगवानके चरणों में निवेदन करना |
- भगवान की शरण में जाना ।
- सब कुछ भगवान के लिए ही करना ।
- तुलसी की सेवा करना - उसे सींचना, उसकी प्रदक्षिणा करना तथा दीपदान करना ।
- भक्ति-शास्त्रों की चर्चा करना ।
- भगवद्धाम में प्रीति रखना ।
- वैष्णवों की सेवा करना - उन्हें भोजन कराना तथा उनकी अन्य आवश्यकताओंको पूर्ण करना) ।
- भगवान के उत्सवों को मनाना ।
- कार्तिकमास को विशेष आदर देना ।
- जन्माष्टमी आदि मनाना ।
- भगवद्विग्रह की सेवा में प्रीति करना ।
- श्रीमद्भागवतशास्त्र का मनन करना ।
- भगवद्भक्तों का सङ्ग करना ।
- नामसंकीर्तन करना |
- व्रजमण्डल का सेवन करना ।
Comments
यह वेबसाइट बहुत ही रोचक और जानकारी से भरपूर है।🙏🙏 -समीर यादव
वेदधारा के साथ ऐसे नेक काम का समर्थन करने पर गर्व है - अंकुश सैनी
बहुत बढिया चेनल है आपका -Keshav Shaw
वेदाधरा से हमें नित्य एक नयी उर्जा मिलती है ,,हमारे तरफ से और हमारी परिवार की तरफ से कोटिश प्रणाम -Vinay singh
आपकी वेबसाइट बहुत ही अनोखी और ज्ञानवर्धक है। 🌈 -श्वेता वर्मा
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