काली घाटे । काली माँ । पतित पावनी । काली माँ । जवा फूले । स्थुरी जले । सेई जवा फूल । में सिआ बेड़ाए । देवीर अनुर्बले । एहि होत । करिवजा होइवे । ताहा काली धर्मेर । चले काहार । आज्ञे राठे । काली का । चंडीर आसे ।


 

ग्रहण काल में अनगिनत जप करने से यह मंत्र सिद्ध होता है । किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए, इस मंत्र का सात बार जप करके दायें हाथ पर फूंक मारें, फिर कार्य करें ।

 

93.0K
13.9K

Comments

Security Code

42980

finger point right
वेदधारा की धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल होने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं - समीर

मंत्र बहुत ही प्रभावशाली हैं। 😊 -kartik aich

दीर्घायु, सुख, शांति, वैभव, संतान की दीर्घायु, रक्षा, बुद्धि, विद्या, विघ्न विमुक्ति, शत्रु विमुक्ति, श्रॉफ मुक्ति के लिए प्रार्थना करता हूं। -शिवम

यह वेबसाइट ज्ञान का अद्वितीय स्रोत है। -रोहन चौधरी

अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति और सामान्य कल्याण के लिए प्रार्थना करता हूं 🙏🙏🙏🙏 -aditi lanke

Read more comments

Knowledge Bank

दुर्दम का अभिशाप और मुक्ति

दुर्दम विश्वावसु नामक गंधर्व का पुत्र था। एक बार वे अपनी हजारों पत्नियों के साथ कैलास के निकट एक झील में विहार कर रहे थे। वहाँ तप कर रहे ऋषि वसिष्ठ ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दे दिया। परिणामस्वरूप, वह राक्षस बन गया। उनकी पत्नियों ने वशिष्ठ से दया की याचना की। वसिष्ठ ने कहा कि भगवान विष्णु की कृपा से 17 वर्ष बाद दुर्दामा पुनः गंधर्व बन जाएगा। बाद में, जब दुर्दामा गालव मुनि को निगलने की कोशिश कर रहा था, तो भगवान विष्णु ने उसका सिर काट दिया और वह अपने मूल रूप में वापस आ गया। कहानी का सार यह है कि कार्यों के परिणाम होते हैं, लेकिन करुणा और दैवीय कृपा से मुक्ति संभव है।

अन्नदान का श्लोक क्या है?

अन्नं प्रजापतिश्चोक्तः स च संवत्सरो मतः। संवत्सरस्तु यज्ञोऽसौ सर्वं यज्ञे प्रतिष्ठितम्॥ तस्मात् सर्वाणि भूतानि स्थावराणि चराणि च। तस्मादन्नं विषिष्टं हि सर्वेभ्य इति विश्रुतम्॥

Quiz

९वीं शताब्दी में चंदेल शासकों द्वारा निर्मित झांसी का जराय का मठ मंदिर में किसकी पूजा होती है ?

Recommended for you

भगवान के छः प्रकार के अवतार

भगवान के छः प्रकार के अवतार

अंशावतार - ब्रह्मा, विष्णु, और रुद्र भगवान श्रीकृष्ण के अं....

Click here to know more..

द्वादश ज्योतिर्लिंग माहात्म्य

द्वादश ज्योतिर्लिंग माहात्म्य

१-सोमनाथ - दक्ष प्रजापति ने अपनी अश्विनी आदि सत्ताईस कन्य�....

Click here to know more..

मुरारि स्तुति

मुरारि स्तुति

इन्दीवराखिल- समानविशालनेत्रो हेमाद्रिशीर्षमुकुटः कलि�....

Click here to know more..