जानिए - महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य को किसने और कैसे मारा
अंधकूप एक नरक नाम है जहां साधु लोगों और भक्तों को नुकसान पहुंचाने वाले भेजे जाते हैं। यह नरक क्रूर जानवरों, सांपों और कीड़ों से भरा हुआ है और वे पापियों को तब तक यातनाएँ देते रहेंगे, जब तक कि उनकी अवधि समाप्त न हो जाए।
पांच - विष्णुप्रयाग, नन्दप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग । प्रयागराज इन पांचों का मिलन स्थान माना जाता है ।
महाभारत युद्ध के १५वें दिन, द्रोणाचार्य और उनके पुत्र अश्वत्थामा ने पांडव सेना पर तबाही मचा दी । विराट और द्रुपद सहित हज़ारों पाण्डव सैनिक मारे गये । अश्वत्थामा अपने पिता से दूर कहीं लडाई में लगे थे । भगवान श्रीकृष्ण ने एक �....
महाभारत युद्ध के १५वें दिन, द्रोणाचार्य और उनके पुत्र अश्वत्थामा ने पांडव सेना पर तबाही मचा दी ।
विराट और द्रुपद सहित हज़ारों पाण्डव सैनिक मारे गये ।
अश्वत्थामा अपने पिता से दूर कहीं लडाई में लगे थे ।
भगवान श्रीकृष्ण ने एक योजना बनाई ।
भीम अश्वत्थामा नाम के एक हाथी को मार डालें ।
और द्रोणाचार्य को बोलें कि मैं ने अश्वत्थामा को मार दिया है ।
जब भीम ने ऐसा किया तो द्रोणाचार्य को विश्वास नहीं हुआ ।
युधिष्ठिर कभी असत्य नहीं बोलते ।
द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर से पूछा - क्या यह सही है? ।
युधिष्ठिर ने भी कहा - अश्वत्थामा मारा गया है पर वह एक हाथी था ।
श्रीकृष्ण के निर्देशानुसार ’पर वह एक हाथी था’ बोला गया तो सैनिकों ने जोर से तुरही और शंख बजाये
द्रोणाचार्य इसे सुन नहीं पाए ।
दुख से भरे द्रोणाचार्य अपने शस्त्र त्यागकर रथ से उतरकर जमीन पर बैठ गये ।
इसका फायदा उठाकर धृष्टद्युम्न ने उनका शिरच्छेद किया ।