सम्यक् शतं क्रतून्कृत्वा यत्फलं समवाप्नुयात्। तत्फलं समवाप्नोति कृत्वा श्रीचक्रदर्शनम् ।। - सैकड़ों यज्ञों को सही ढंग से करने पर व्यक्ति धीरे-धीरे उनके फल प्राप्त करता है। लेकिन केवल श्री चक्र का दर्शन मात्र से वही परिणाम तुरंत प्राप्त हो जाते हैं।
अपने आध्यात्मिक समर्पण और सांसारिक रिश्तों में संतुलन बनाए रखें। हर दिन प्रार्थना और ध्यान के लिए समय निकालें ताकि आपकी भगवान से जुड़ाव मजबूत हो सके, साथ ही अपने परिवार की जिम्मेदारियों को प्रेम और करुणा के साथ निभाएं। समझें कि दोनों पहलू महत्वपूर्ण हैं—आपकी आध्यात्मिक प्रथाएं आंतरिक शांति और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं, जबकि आपके रिश्ते निस्वार्थता और देखभाल व्यक्त करने के अवसर देते हैं। दोनों का सम्मान करके, आप एक पूर्ण जीवन जी सकते हैं जो आपकी आत्मा और प्रियजनों के साथ आपके संबंधों को पोषित करता है।
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