भीष्म जी अपने पूर्व जन्म में द्यौ थे जो अष्ट वसुओं में से एक हैं। वे सभी ऋषि वशिष्ठ के श्राप के कारण धरती पर जन्म लिए थे। उनकी मां, गंगा ने उन्हें श्राप से राहत देने के लिए जन्म के तुरंत बाद उनमें से सात को डुबो दिया। सिर्फ भीष्म जी जीवित रहे।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ॐ स्वाहा ॐ गरुड सं हुँ फट् । किसी रविवार या मंगलवार के दिन इस मंत्र को दस बर जपें और दस आहुतियां दें। इस प्रकार मंत्र को सिद्ध करके जरूरत पडने पर मंत्र पढते हुए फूंक मारकर भभूत छिडकें ।
व्यासजी ने भाई की पत्नियों के गर्भ में सन्तान क्यों उत्पन्न किया
शत्रुओं को रोकने के लिए वक्रतुंड मंत्र
वक्रतुण्डाय हुम्....
Click here to know more..गणेश मंगल मालिका स्तोत्र
श्रीकण्ठप्रेमपुत्राय गौरीवामाङ्कवासिने। द्वात्रिंशद�....
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