पर्जन्य अस्त्र का उपयोग प्राचीन समय में युद्धों के दौरान किया जाता था। यह एक प्रकार का बाण था, जिसके उपयोग से भारी वर्षा होती थी। पर्जन्य अस्त्र की मदद से शत्रु के अग्नि बाणों को शांत किया जा सकता था। ये वे अस्त्र हैं, जो मन्त्रों के माध्यम से सक्रिय किए जाते हैं। प्रत्येक अस्त्र का संबंध किसी विशेष देवता से होता है और इन्हें मन्त्रों और तंत्रों के माध्यम से संचालित किया जाता है। इन्हें दिव्य और मान्त्रिक अस्त्र कहा जाता है।
इष्टि का अर्थ है यज्ञ। जीवन के अंत में किये जानेवाला यज्ञ अथवा इष्टि है अंत्येष्टि। इसमें जीवन भर अपने शरीर से ईश्वर की सेवा करने के बाद, उसी शरीर को एक आहुति के रूप में अग्नि देव को समर्पित किया जाता है।
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