(१) काली काली महाकाली इन्द्र की बेटी, ब्रह्मा की साली, हांक पड़े महादेव के पूजा देहुं रक्त के, भूत प्रेत मरीमसान, आवत हे पञ्चमुखी हनुमान, गदा ला चलाही, तोर गोदी ला खाही, सत के महादेव होवें तो मसान ला भगावें । दुहाई गौरी पार्वती के ।
(२) भाग भाग भूत भाग भाग मसान, आवत है पञ्चमुखी हनुमान, गदा ला चलाहि, तोर करेजा ला खाही, आगी में जलाही, तेल में पकाही, मन के राव, मन का दुआ करे । भूत प्रेत के पीरा ला हरे । सत् के महादेव होवे तो अमुक के रक्षा करवें, मोर अरजी विनती ला सुनवे, दुहाई पारबती दाई के ।
अमुक के स्थान पर पीडित व्यक्ति का नाम लेवे ।
एक मुट्ठी पीली सरसों को २१ बार मन्त्रित कर पीडित व्यक्ति के सिर पर घुमाकर आग में डालें, यदि मांस जलने जैसी गंध आये तो समझें दोष दूर हो गया।
ॐ पीर बजरंगी राम लक्ष्मण के संगी, जहां जहां जाए, फतह के डंके बजाये, दुहाई माता अञ्जनि की आन ।
किसी भी कार्य के लिए घर से निकलते समय इस मंत्र का ११ बार जाप करें ।
ॐ नमो आदेस गुरु का । हनुमान का ध्यान जाने, सारे रामचन्द्र के काज, भूत को वश करे, प्रेत को वश करे, वादी को मारे, धारे तेल और सिन्दूर, जासे भागे वैरी दूर, सत्य वीर हनुमान, बारह बरस का जवान, हाथ में लड्डू मुख में पान, हनुमान गुणवन्ता गजवन्ता धारे तार, गद्दी बैठे राज करन्ता, अंजनी की दुहाई, पवन पिता की दुहाई, सीता सती की दुहाई, तेरी शक्ति गुरु की भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा |
विशाखा नक्षत्र युक्त चन्द्र ग्रहण में जाप प्रारंभ करें । ४१ दिन में ४१ हजार जप करें । गुगल धूप दीप लड्डु व पान चढ़ावें । हनुमान जी प्रसन्न होकर सब कार्य सिद्ध करेंगे ।
मनसा देवी।
भगवान और उनके नाम अविच्छेद्य हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार भगवन्नाम का प्रभाव भगवान से अधिक हैं। भगवान ने जो प्रत्यक्ष उनके संपर्क में आये उन्हें ही सुधारा। उनका नाम पूरे विश्व में आज भी करोडों का भला कर रहा है।
कठोपनिषद - भाग २२
जब मृत्यु संस्कारों की उपेक्षा की जाती है तो क्या होता है?
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