आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की ।
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,
सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन ।
अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,
मर्यादा पुरूषोतम वर की ।
निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि ।
हरण शोक-भय दायक नव निधि,
माया रहित दिव्य नर वर की ।
जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति ।
विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति,
एक मात्र गति सचराचर की ।
शरणागत वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्पतरुवर तरुवर असुरारी ।
नाम लेत जग पावनकारी,
वानर सखा दीन दुख हर की।
संस्कृत में, 'धान्य' शब्द 'धिनोति' से आता है, जिसका मतलब है देवताओं को प्रसन्न करना। वेद कहते हैं कि अनाज देवताओं को बहुत प्रिय है। इसलिए पका हुआ खाना चढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है।
1. स्नान 2. संध्या वंदन - सूर्य देव से प्रार्थना करना। 3. जप - मंत्र और श्लोक। 4. घर पर पूजा/मंदिर जाना। 5. कीड़ों/पक्षियों के लिए घर के बाहर थोड़ा पका हुआ भोजन रखें। 6. किसी को भोजन कराना।
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा
जो मनुष्य खुद से कुछ सीख नहीं सकता उस को शास्त्र क्या सिखा....
Click here to know more..गंगाजी का पानी लेकर गंगाजी की ही पूजा
कृष्ण लहरी स्तोत्र
कदा वृन्दारण्ये विपुलयमुनातीरपुलिने चरन्तं गोविन्दं ह�....
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