वैभव लक्ष्मी व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति और लक्ष्यों को शीघ्र प्राप्त करने की प्राचीन विधि है। इस व्रत के सरल अनुष्ठानों, मंत्रों और प्रार्थनाओं से आप अपने जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकते हैं।

 

भले ही यह व्रत शीघ्र फल देने वाला है, लेकिन कभी-कभी कर्म और भाग्य के कारण मनोवांछित फल प्राप्त नहीं हो पाता है। हार नहीं मानना और मां लक्ष्मी में विश्वास बनाए रखना महत्वपूर्ण है। दो-तीन महीने के बाद व्रत को दोहरायें। जब तक कि आपके लक्ष्य पूरे न हो जाएं इस प्रक्रिया को तब तक जारी रखें । 

व्रत को न करते हुए भी प्रति दिन चालीसा का नियमित पाठ करने से और वैभवलक्ष्मी की स्तुति करते रहने से निश्चित रूप से देवी लक्ष्मी की कृपा बढेगी और आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

व्रत करने से मां की कृपा अवश्य प्राप्त होगी ऐसा विश्वास रखना चाहिए।

व्रत शुरू करने से श्रीयंत्र को अवश्य प्रणाम करें।

 

मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं -

व्रत से पहले इस श्लोक को पढें -

या रक्ताम्बुजवासिनी विलसिनी चण्डांशु तेजस्विनी । 

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोह्लादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रकटिता विष्णोश्च या गेहिनी । 

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

लक्ष्मी मां जो -

लाल कमल पर विराजमान हैं,

अतुलनीय कांति वाली हैं,

चमकीले लाल वस्त्र पहनी हुई हैं,

भगवान विष्णु की पत्नी हैं,

जो सबके मन को आनंद देती हैं,

जो समुद्र मंथन के समय प्रकट हुई थी,

जो भगवान विष्णु को अति प्रिय हैं,

जो अतिशय पूजनीया हैं,

वह मां लक्ष्मी मुझ पर प्रसन्न रहें तथा मेरी रक्षा करें।

 

उसके बाद इस धनदा कवच का पाठ करें -

धं बीजं मे शिरः पातु ह्रीं बीजं मे ललाटकम् ।

श्री बीजं मे मुख पातु रकारं हृदि मेऽवतु ।

तिकारं पातु जठरं प्रिकारं पृष्ठतोऽवतु ।

येकारं जंघयोर्युग्मे स्वाकारं पादयोर्युगे ।

शीर्षादिपादपर्यन्तं हाकारं सर्वतोऽवतु ॥

उक्त धनदा कवच का नित्य 5 या 7 बार पाठ करने से वैभव लक्ष्मी पाटकर्ता पर दयावान रहती हैं तथा उसके सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं।

 

 

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वैभव लक्ष्मी के व्रत करने से क्या फल मिलता है?

वैभव लक्ष्मी व्रत करने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है । इससे धन, स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, वैभव लक्ष्मी के लिए उपवास करने से शरीर और मन शुद्ध हो जाते हैं ।

वैभव लक्ष्मी का ध्यान श्लोक क्या है?

आसीना सरसीरुहे स्मितमुखी हस्ताम्बुजैर्बिभ्रति दानं पद्मयुगाभये च वपुषा सौदामिनीसन्निभा । मुक्ताहारविराजमानपृथुलोत्तुङ्गस्तनोद्भासिनी पायाद्वः कमला कटाक्षविभवैरानन्दयन्ती हरिम् ॥

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मां लक्ष्मी के कितने स्वरूप प्रसिद्ध हैं ?

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