आर्यावर्त आर्य संस्कृति का केंद्र था। इसकी मूल सीमाएँ थीं - उत्तर में कुरुक्षेत्र, पूर्व में गया, दक्षिण में विरजा (जाजपुर, ओडिशा), और पश्चिम में पुष्कर।
सत्ययुग में भगवती त्रिपुरसुंदरी को उनकी प्रमुखता के कारण 'आद्या' कहा जाता है। इसी प्रकार, त्रेतायुग में भगवती भुवनेश्वरी 'आद्या' कहलाती हैं, द्वापरयुग में भगवती तारा 'आद्या' के रूप में जानी जाती हैं, और कलियुग में भगवती काली को 'आद्या' कहा जाता है।
भगवान दिल में बसने लगते हैं तो क्या होता है?
परीक्षित क्यों श्रापित हो गये ?
महाभारत में ही कहा गया है कि परीक्षित में आत्मसंयम था और उ....
Click here to know more..श्रीसूक्त सार लक्ष्मी स्तोत्र
हिरण्यवर्णां हिमरौप्यहारां चन्द्रां त्वदीयां च हिरण्य�....
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