न दीयते खण्ड्यते बध्यते- स्वतंत्र, जिसे बांधा नहीं जा सकता। अदिति बारह आदित्य और वामनदेव की माता थी। दक्षकन्या अदिति के पति थे कश्यप प्रजापति।
व्यास महर्षि ने महाभारत लिखा। उनके शिष्य वैशम्पायन ने जनमेजय के सर्प यज्ञ स्थल पर महाभारत सुनाया। उग्रश्रवा सौति वहां उपस्थित थे और उन्होंने वैशम्पायन की कथा के आधार पर नैमिषारण्य आकर वहां ऋषियों को सुनाया। आज हमारे पास जो महाभारत है वह यही है।
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ॐ श्रीं स्फ्यें ह्रीं नमः ॐ श्रीं स्फ्यें ह्रीं नमः ॐ श्र�....
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ॐ ऐं क्रौं नमः दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये ....
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चन्द्रः कर्कटकप्रभुः सितनिभश्चात्रेयगोत्रोद्भवो ह्या....
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