गरुड के भाई हैं सूर्य का सारथी अरुण। अरुण के पुत्र हैं जटायु और सम्पाति जिनके बारे में रामायण में उल्लेख है। उनकी मां थी श्येनी।
महर्षि व्यास का असली नाम है कृष्ण द्वैपायन। इनका रंग भगवान कृष्ण के जैसा था और इनका जन्म यमुना के बीच एक द्वीप में हुआ था। इसलिए उनका नाम बना कृष्ण द्वैपायन। पराशर महर्षि इनके पिता थे और माता थी सत्यवती। वेद के अर्थ को पुराणों और महाभारत द्वारा विस्तृत करने से इनको व्यास कहते हैं। व्यास एक स्थान है। हर महायुग में एक नया व्यास होता है। वर्तमान महायुग के व्यास हैं कृष्ण द्वैपायन।
हयग्रीव मंत्र: विद्यार्थियों के लिए एकाग्रता और ज्ञानवृद्धि का मार्ग
हयग्रीव मंत्र के माध्यम से ज्ञान के स्रोत का आह्वान करें�....
Click here to know more..आपके पुत्र की पढ़ाई में सफलता के लिए देवी सरस्वती से प्रार्थना
अंबिका स्तव
स्मितास्यां सुरां शुद्धविद्याङ्कुराख्यां मनोरूपिणीं �....
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