ब्रह्मवैवर्तपुराण.प्रकृति.२.६६.७ के अनुसार, विश्व की उत्पत्ति के समय देवी जिस स्वरूप में विराजमान रहती है उसे आद्याशक्ति कहते हैं। आद्याशक्ति ही अपनी इच्छा से त्रिगुणात्मिका बन जाती है।
ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण, विष्णु पुराण, वायु पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, मार्कण्डेय पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, लिङ्ग पुराण, वराह पुराण, स्कन्द पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण।
उज्जैन की महिमा
उज्जैन यह क्षेत्र एक योजन यानी चार कोस प्रमाण का पृथ्वी प�....
Click here to know more..बीच में अटके: त्रिशंकु की कथा और आधुनिक जीवन की दौड़
भगवद गीता - अध्याय 4
श्रीभगवानुवाच - इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् । ....
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