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वेद धारा समाज के लिए एक महान सीख औऱ मार्गदर्शन है -Manjulata srivastava

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राजा पृथु और पृथ्वी का दोहन

पुराणों के अनुसार, पृथ्वी ने एक समय पर सभी फसलों को अपने अंदर खींच लिया था, जिससे भोजन की कमी हो गई। राजा पृथु ने पृथ्वी से फसलें लौटाने की विनती की, लेकिन पृथ्वी ने इनकार कर दिया। इससे क्रोधित होकर पृथु ने धनुष उठाया और पृथ्वी का पीछा किया। अंततः पृथ्वी एक गाय के रूप में बदल गई और भागने लगी। पृथु के आग्रह पर, पृथ्वी ने समर्पण कर दिया और उन्हें कहा कि वे उसका दोहन करके सभी फसलों को बाहर निकाल लें। इस कथा में राजा पृथु को एक आदर्श राजा के रूप में दर्शाया गया है, जो अपनी प्रजा की भलाई के लिए संघर्ष करता है। यह कथा राजा के न्याय, दृढ़ता, और जनता की सेवा के महत्व को उजागर करती है। यह कथा मुख्य रूप से विष्णु पुराण, भागवत पुराण, और अन्य पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित है, जहाँ पृथु की दृढ़ता और कर्तव्यपरायणता को दर्शाया गया है।

गन्धमादन पर्वत कहां है?

गंधमादन वह पर्वत है जहाँ बदरिकाश्रम और नर-नारायण आश्रम स्थित हैं। (महाभारत.वनपर्व.141.22-23)

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समुद्र मंथन के समय डूबता हुआ मन्दर पर्वत को भगवान विष्णु ने अवतार लेकर अपने पीठ पर उठाकर रखा । कौन सा है यह अवतार ?

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