रामचरितमानस पढ़ने के दो विधान हैं - १. नवाह्न पाठ - जिसमें संपूर्ण मानस का पाठ नौ दिनों में किया जाता है। २. मासिक पाठ - जिसमें पाठ एक मास की अवधि में संपन्न किया जाता है।
अष्टम भाव के ऊपर चन्द्रमा, गुरु और शुक्र तीनों ग्रहों की दृष्टि हो तो देहांत के बाद भगवान श्रीकृश्ष्ण के चरणों में स्थान मिलेगा।
नहि कृतमुपकारं साधवो विस्मरन्ति
एक नारियल का पेड जब छोटा होता है तब वह थोडा सा ही पानी पीता ....
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श्रीपद्मिनीशमरुणोज्ज्वलकान्तिमन्तं मौनीन्द्रवृन्दस�....
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